ONDC पर किसानों के उत्पादों की हुई रिकॉर्डतोड़ बिक्री, मिले 4 लाख रुपये के ऑर्डर

29 अप्रैल को ONDC प्लेटफॉर्म पर 2,095 ऑर्डर मिले, जिनकी कुल कीमत 4 लाख रुपये से अधिक थी. यह दिन किसानों के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है

नई दिल्ली | Published: 3 May, 2025 | 03:24 PM

भारत में किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) ने डिजिटल दुनिया में कदम रखते हुए एक नई मिसाल पेश की है. सरकार के प्रोत्साहन से स्थापित ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) प्लेटफॉर्म पर 29 अप्रैल 2025 को एक दिन में 2,095 ऑर्डर दर्ज किए गए, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. यह उपलब्धि किसानों की डिजिटल यात्रा में एक ऐतिहासिक मोड़ को दर्शाती है.

ONDC: किसानों के लिए डिजिटल बाजार का द्वार

ONDC एक सरकारी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है जो किसानों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ता है. इससे वे अपने उत्पादों को देशभर में बेच सकते हैं, बिना किसी बिचौलिए के. अब तक लगभग 8,540 FPOs इस प्लेटफॉर्म से जुड़ चुके हैं, जो अपनी उपज को ऑनलाइन बेच रहे हैं.

29 अप्रैल का रिकॉर्ड

29 अप्रैल को ONDC प्लेटफॉर्म पर 2,095 ऑर्डर मिले, जिनकी कुल कीमत 4 लाख रुपये से अधिक थी. यह दिन किसानों के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है, जो उनकी मेहनत और डिजिटल प्रयासों का परिणाम है.

डिजिटल बिक्री से ग्रामीण रोजगार में वृद्धि

ONDC जैसे प्लेटफॉर्म पर बिक्री के लिए जीएसटी नंबर और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण का सर्टिफिकेशन जरूरी है. इसके चलते कई FPOs ने कच्ची उपज का मूल्यवर्धन करना शुरू किया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और लॉजिस्टिक्स जैसी गतिविधियों में स्थानीय रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं.

शिपिंग चार्ज है एक बड़ी चुनौती

हालांकि ऑनलाइन बिक्री में वृद्धि हुई है, लेकिन शिपिंग चार्ज एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ के एक FPO से 2 किलो अरोमा चावल 130 रुपये में खरीदा जा सकता है, लेकिन जब दिल्ली के लिए ऑर्डर किया जाता है, तो शिपिंग चार्ज 333 रुपये तक पहुंच जाता है. यह अतिरिक्त खर्च उपभोक्ताओं के लिए बाधा बन सकता है.

डिजिटल परिवर्तन की ओर एक कदम और

FPOs की डिजिटल यात्रा ने यह साबित कर दिया है कि सही दिशा में प्रयास और सरकारी समर्थन से कोई भी चुनौती पार की जा सकती है. ONDC जैसे प्लेटफॉर्म ने किसानों को एक नया बाजार और पहचान दी है. आगे भी, अगर शिपिंग लागत और अन्य चुनौतियों का समाधान किया जाए, तो यह डिजिटल परिवर्तन और भी प्रभावी हो सकता है.