अब मिड-डे मील में बच्चों को मिलेंगे तीन अंडे, सेहत सुधारने के लिए बड़ा कदम

राज्य में पहली से आठवीं कक्षा तक लगभग 86 लाख बच्चे पढ़ते हैं. अभी तक बच्चों को मिड-डे मील में सिर्फ एक अंडा दिया जाता था, लेकिन नए आदेश के तहत अब हर हफ्ते तीन अंडे दिए जाएंगे.

Kisan India
Noida | Published: 11 Mar, 2025 | 05:57 PM

पश्चिम बंगाल सरकार ने स्कूली बच्चों के पोषण को ध्यान में रखते हुए मिड-डे मील (MDM) योजना में बड़ा बदलाव किया है. इस योजना के तहत अब बच्चों को हफ्ते में एक नहीं, बल्कि तीन अंडे खाने के लिए मिलेंगे, जिससे उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा और उन्हें जरूरी प्रोटीन भी मिल सकेगा. इस फैसले के लिए सरकार ने 75 करोड़ रुपये से अधिक की राशि मंजूर की है. इस फैसले के बाद बच्चों की सेहत के साथ-साथ राज्य में पोल्ट्री फार्मिंग को भी बढ़ावा मिलेगा.

नेशनल ऐग कोऑर्डिनेशन कमेटी की रिपोर्ट

नेशनल ऐग कोऑर्डिनेशन कमेटी ने हाल में सोशल मीडिया पर एक रिपोर्ट साझा करते हुए बताया कि पश्चिम बंगाल में मिड-डे मील में अंडों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया गया है. यह कदम बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने के लिए उठाया गया है.

बच्चों को मिलेगा पोषण

राज्य में पहली से आठवीं कक्षा तक लगभग 86 लाख बच्चे पढ़ते हैं. अभी तक बच्चों को मिड-डे मील में सिर्फ एक अंडा दिया जाता था, लेकिन नए आदेश के तहत अब हर हफ्ते तीन अंडे दिए जाएंगे. इस फैसले का सीधा फायदा उन बच्चों को मिलेगा, जो कुपोषण से जूझ रहे हैं.

अंडों की बढ़ेगी डिमांड

सरकार के इस कदम से पश्चिम बंगाल और आसपास के राज्यों के पोल्ट्री उद्योग को भी फायदा होगा. अंडों की मांग बढ़ने से पोल्ट्री फार्मिंग को बढ़ावा मिलेने के साथ साथ लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल सकेंगे.

महाराष्ट्र में उल्टा फैसला, वापस लिया अंडा देने का आदेश

जहां एक ओर पश्चिम बंगाल बच्चों को अधिक अंडे देने की तैयारी कर रहा है, वहीं महाराष्ट्र सरकार ने एमडीएम में अंडे देने का फैसला वापस ले लिया है. पहले महाराष्ट्र में कुपोषण से निपटने के लिए 50 करोड़ रुपये के बजट से बच्चों को अंडे देने की योजना बनाई गई थी, लेकिन अब किसी अज्ञात कारण से इसे बंद किया जा रहा है.

बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

सरकार के इस फैसले से बच्चों को पोषण मिलेगा, पोल्ट्री उद्योग को मजबूती मिलेगी और किसानों को भी लाभ होगा. यह फैसला ना सिर्फ बच्चों के विकास के लिए अहम है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है. अब देखना होगा कि अन्य राज्य भी इस मॉडल को अपनाकर बच्चों के स्वास्थ्य सुधार की दिशा में क्या कदम उठाते हैं.

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