खरीफ सीजन की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में अच्छी उपज और मुनाफे के लिए किसान कई तरह की व्यावसायिक फसलों की खेती करते हैं . इन्हीं व्यावसायिक फसलों में से एक है तिल की फसल . तिलहन फसलों की मुख्य फसलों में से एक तिल की फसल है. भारत में इसकी खेती खास तौर पर तेल निकालने और निर्यात के लिए की जाती है . इसकी खेती से किसानों भी कम लागत में अच्छा मुनाफा मिल सकता है. बता दें कि तिल के तेल की मांग भारत में ही नहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी है.
ऐसे करें खेत की तैयारी
तेल की खेती के लिए जरूरी है कि किसान सही मिट्टी का चुनाव करें. तिल की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी बेस्ट मानी जाती है. बीजों की बुवाई से पहले जरूरी है कि किसान खेती की अच्छे से जुताई कर लें. किसान खेत को एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से और दो से तीन बार कल्टीवेटर से जुताई करें. किसान इस बात का ध्यान रखें कि खेत की जुताई के समय उसमें करीब 5 टन गोबर की सड़ी हुई खाद प्रति हेक्टेयर जमीन की दर से डालें.
बुवाई का सही समय और तरीका
तिल की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर खेत के लिए 3 से 4 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. बीज की बुवाई से पहले बीजों को अच्छे से साफ कर उनका उपचार कर लें. बता दें कि तिल की खेती के लिए सबसे अच्छा समय जून का अंतिम सप्ताह से लेकर जुलाई के दूसरे पखवाड़े तक माना जाता है. बीज लगाते समय ध्यान रखें कि कतार से कतार की दूरी 30 सेमी और पौधों से पौधों की दूरी 10 सेमी रखें. बीजों की बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें.
तिल की खेती से उपज और मुनाफा
तिल की प्रति हेक्टेयर खेती से किसान को लगभग 5 से 8 क्विंटल तक उपज मिलती है. बाजार में इसकी कीमत 9 हजार से 15 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक हो सकती है. यानी बाजार में एक हेक्टेयर तिल की खेती से किसान लगभग 45 हजार से 1.20 लाख रुपये तक कमा सकते हैं. जबकि तिल के प्रति हेक्टेयर खेती पर किसान की कुल लागत 13 हजार से 18 हजार तक लग सकती है. यानी अगर कुल कमाई से कुल लागत हटा दी जाए तो किसान को तिल की खेती से प्रति हेक्टेयर कम से कम 30 हजार रुपये और ज्यादा से ज्यादा 1 लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा हो सकता है.