जून का महीना यानी तेज धूप, झुलसाने वाली गर्मी और कभी-कभी अचानक आने वाले आंधी-तूफान. इंसानों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी यह मौसम खतरनाक हो सकता है. ऐसे में अगर सही देखभाल न की जाए तो पशुओं की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है. इससे दूध उत्पादन घट सकता है, जानवरों की भूख कम हो सकती है और कई बार गंभीर बीमारियां भी हो जाती हैं. ऐसे में हर पशुपालक को इस मौसम में कुछ जरूरी सावधानियां जरूर अपनानी चाहिए.
लू और तेज धूप से बचाव
जून में तापमान काफी बढ़ जाता है. कई बार दोपहर में तापमान 42 से 45 डिग्री तक पहुंच जाता है. इस तेज गर्मी में पशुओं को लू लगने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए जरूरी है कि पशुओं को छायादार और हवादार जगह पर रखें. जहां संभव हो वहां टीन शेड, टाट या हरे जाल से छाया करें. इसमें ध्यान देने की बात यह है कि पशुओं को दिन के सबसे गर्म समय यानी दोपहर 11 बजे से शाम 4 बजे तक धूप से दूर रखें. अगर खुले में बांधना जरूरी हो तो सिर और शरीर को ढकने के इंतजाम करें.
पानी और मिनरल्स की कमी से बचाव
गर्मी में पशुओं के शरीर से काफी मात्रा में पानी और नमक निकल जाता है. ऐसे में उनके शरीर में पानी व मिनरल्स की कमी हो जाती है, जिससे वे कमजोर हो सकते हैं. इससे दूध का उत्पादन भी घटता है. इसलिए पशुओं को साफ और ताजा पानी दिनभर उपलब्ध कराएं. साथ ही, लवण मिश्रण (मिनरल मिक्सचर) को दाने या बांटे में मिलाकर निर्धारित मात्रा में रोजाना खिलाएं. इससे शरीर में जरूरी मिनरल्स की कमी नहीं होगी और पशु स्वस्थ रहेंगे.
आहार में करें जरूरी बदलाव
गर्मी के मौसम में पशुओं का पाचन तंत्र भी कमजोर हो जाता है. इसलिए आहार में थोड़ा बदलाव करना जरूरी है. गेहूं का चोकर, जौ और दूसरे हल्के अनाजों की मात्रा बढ़ाएं. इसके अलावा, हरे चारे की उपलब्धता पर भी ध्यान दें. हरा चारा जैसे चरी और मक्का चारा इस समय बोया और काटा जा सकता है. संतुलित आहार से न केवल पशु स्वस्थ रहेंगे बल्कि दूध उत्पादन भी बना रहेगा.
बीमारी और कीटों से बचाव
गर्मी के मौसम में चिचंड़े (मक्खी जैसे कीट) और पेट के कीड़े भी पशुओं को परेशान करते हैं. इसलिए साफ-सफाई पर खास ध्यान देना जरूरी है. बाड़े को हमेशा साफ-सुथरा और सूखा रखें ताकि कीड़े-मकौड़े पनप न सकें. साथ ही कीट-नाशक दवाओं का समय-समय पर छिड़काव करें. पेट के कीड़ों से बचाने के लिए भी पशुओं को नियमित रूप से दवा दें. इन सावधानियों से पशु बीमारियों से बचे रहेंगे और उनकी सेहत अच्छी बनी रहेगी.
चारा इकट्ठा करना शुरू करें
आने वाले मानसून में चारा काटना मुश्किल हो सकता है, इसलिए जून में ही चारे का संग्रहण और खरीद की योजना बनाएं. इससे बरसात में चारे की कमी नहीं होगी.