भारत से अमेरिका निर्यात होने वाला झींगा (Shrimp) इस समय चर्चा का बड़ा विषय बना हुआ है. वजह है अमेरिका की ओर से अचानक लगाया गया 50 फीसदी आयात शुल्क (टैरिफ). इसका असर यह हुआ कि पहले जो भारतीय झींगा अमेरिकी बाजार में 15 से 25 डॉलर प्रति किलो बिकता था, अब उसकी कीमत बढ़कर 22.5 से 37.5 डॉलर प्रति किलो हो गई है. इससे जहां अमेरिकी उपभोक्ताओं को झींगा खाने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं, वहीं भारतीय किसानों की आमदनी तेजी से घट रही है.
अमेरिका भारतीय झींगा का सबसे बड़ा खरीदार
भारत दुनिया के सबसे बड़े झींगा निर्यातकों में से एक है. कुल समुद्री खाद्य निर्यात में झींगा की हिस्सेदारी लगभग 70 फीसदी रहती है और इसमें अमेरिका सबसे बड़ा खरीदार है. भारत हर साल अरबों डॉलर का झींगा अमेरिका भेजता है. लेकिन टैरिफ बढ़ने से यह कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.
इक्वाडोर, वियतनाम और इंडोनेशिया को फायदा
अमेरिका ने भारत पर टैरिफ 50 फीसदी तक बढ़ा दिया, जबकि इक्वाडोर और वियतनाम जैसे देशों पर केवल 10-18 फीसदी शुल्क लगाया जाता है. ऐसे में अमेरिकी आयातक अब भारत की जगह इन देशों से झींगा खरीद रहे हैं.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जून 2025 में इक्वाडोर के झींगा निर्यात में 44 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इससे साफ है कि भारत की जगह धीरे-धीरे अन्य देश अमेरिकी बाजार पर कब्जा कर रहे हैं.
भारतीय किसानों पर संकट
भारत में झींगा पालन का सबसे बड़ा केंद्र आंध्र प्रदेश है, जहां लाखों किसान इस कारोबार से जुड़े हुए हैं. लेकिन निर्यात पर असर पड़ने की वजह से कंपनियों ने किसानों को मिलने वाले दाम 20 फीसदी तक घटा दिए हैं. इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. कई किसान मजबूरी में मछली पालन या दूसरे विकल्पों की तरफ रुख कर रहे हैं. निर्यातकों का कहना है कि अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो आने वाले समय में झींगा उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है.
उपभोक्ताओं पर असर
अमेरिका में झींगा सबसे ज्यादा रेस्तरां, सुपरमार्केट और होटल उद्योग में इस्तेमाल होता है. लेकिन कीमतें बढ़ने से अब रेस्तरां में परोसी जाने वाली झींगा डिश पहले से महंगी हो गई हैं. उपभोक्ताओं को एक किलो झींगा खरीदने के लिए अब 10 से 15 डॉलर तक ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि कीमतें बढ़ने से झींगा की खपत घट सकती है. अमेरिकी नेशनल फिशरीज इंस्टीट्यूट ने पहले ही चेतावनी दी थी कि टैरिफ लागू होने से “हेल्दी प्रोटीन” आम लोगों की पहुंच से दूर हो सकता है.
राजनीतिक और आर्थिक पेंच
अमेरिका का यह टैरिफ केवल व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे भू-राजनीतिक कारण भी जुड़े हुए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि रूस से भारत द्वारा बड़े पैमाने पर तेल आयात करने से अमेरिका नाराज है. इसी वजह से भारत पर अतिरिक्त शुल्क लगाया है. टैरिफ बढ़ने के बाद भारतीय झींगे पर शुल्क 60 फीसदी तक पहुंच गया है, जिससे निर्यातकों को भारी नुकसान हो सकता है.