अमेरिकी टैरिफ के बीच भारत के झींगा निर्यात में दमदार उछाल, इन देशों में बढ़ी मांग

हाल के सालों में भारत ने अपने झींगा निर्यात को विविधता देने पर काम किया है. इसी का नतीजा है कि वियतनाम, बेल्जियम, चीन, रूस जैसे देशों से मांग तेजी से बढ़ी है. अब इन देशों का योगदान कुल निर्यात में 57 फीसदी तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है.

नई दिल्ली | Published: 24 Nov, 2025 | 11:13 AM

Shrimp Export: भारत का सीफूड क्षेत्र लगातार अपनी ताकत साबित कर रहा है. वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआती पांच महीनों में भारत के झींगा (Shrimp) निर्यात ने शानदार प्रदर्शन किया है. नई रिपोर्ट्स के अनुसार इस अवधि में निर्यात मूल्य में 18 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि निर्यात मात्रा में भी 11 फीसदी की बढ़त हुई है. यह प्रगति खासतौर पर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत अब पारंपरिक बाजार अमेरिका के अलावा अन्य देशों में भी अपनी मजबूत जगह बना रहा है.

गैर-अमेरिकी बाजारों में तेजी

हाल के सालों में भारत ने अपने झींगा निर्यात को विविधता देने पर काम किया है. इसी का नतीजा है कि वियतनाम, बेल्जियम, चीन, रूस जैसे देशों से मांग तेजी से बढ़ी है. अब इन देशों का योगदान कुल निर्यात में 57 फीसदी तक पहु गया है, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है.

इन बाजारों में बढ़ती पकड़ से भारत के निर्यातकों को राहत मिली है और निर्भरता किसी एक देश पर कम हो रही है. यह भविष्य की दृष्टि से भी लाभकारी साबित होगा.

अमेरिकी बाजार में दबाव, पर असर सीमित

अमेरिका परंपरागत रूप से भारत के झींगा निर्यात का सबसे बड़ा बाजार रहा है. लेकिन इस साल यहा स्थिति थोड़ी चुनौतीपूर्ण रही.

अमेरिकी बाजार में झींगा निर्यात सिर्फ लगभग 5 फीसदी ही बढ़ा.

नया टैरिफ (कर) बढ़ने से भारतीय कंपनियों की कीमत प्रतिस्पर्धा कम हो गई.

अगस्त 2025 के बाद अमेरिकी आयात शुल्क 58 फीसदी तक पहुच गया. इसकी वजह से भारतीय झींगा अमेरिकी बाजार में महंगा पड़ने लगा, जबकि इक्वाडोर और इंडोनेशिया जैसे देशों को यहां फायदा मिल रहा है. इसके चलते साल के बाद के महीनों में अमेरिका को निर्यात में गिरावट के संकेत दिखाई देने लगे हैं.

यूरोप और एशिया से मिल रही मजबूती

भारत की कंपनियां अब ऐसे बाजारों में प्रवेश कर रही हैं, जहां पहले निर्यात कम होता था या अनुमति नहीं थी. कई भारतीय प्रोसेसिंग यूनिट्स को यूरोप और रूस में निर्यात की नई मंूरी भी मिली है.

चीन 16 फीसदी की बढ़त, गैर-अमेरिकी बाजारों में सबसे बड़ा हिस्सा

वियतनाम निर्यात मूल्य दोगुना, नए री-एक्सपोर्ट हब के रूप में उभर रहा

बेल्जियम यूरोपीय मांग बढ़ी, निर्यात पहले से दोगुना

इन बाजारों से आने वाली बढ़ती मांग आगे भी कारोबार को गति देती रहेगी.

आगे की चुनौती और उम्मीदें 

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में झींगा निर्यात की तेजी कुछ कम हो सकती है. इसकी वजह अमेरिकी बाजार में लगातार बढ़ता टैरिफ दबाव और नए ऑर्डर्स में सुस्ती है. साथ ही इक्वाडोर और इंडोनेशिया जैसे देशों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा भी भारत के लिए चुनौती बन रही है. इसके बावजूद भारतीय निर्यातकों ने स्थिति को संभालने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. वे नए देशों में निर्यात बढ़ा रहे हैं, उत्पादों की गुणवत्ता और ट्रेसबिलिटी (उत्पाद की पूरी जानकारी) पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और साल की शुरुआत में ज्यादा निर्यात कर लाभ भी सुनिश्चित किया है. त्योहारों के दौरान अमेरिका में झींगा की मांग मजबूत रहने की उम्मीद है, इसलिए अचानक बड़ी गिरावट की संभावना फिलहाल कम दिखाई देती है. इससे उद्योग को आगे भी स्थिरता मिलने की उम्मीद बनी हुई है.

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