अमेरिकी टैरिफ के बावजूद झींगा निर्यात में बंपर उछाल, निर्यातकों ने इन देशों का किया रूख

FY26 के पहले पांच महीनों में भारतीय झींगा निर्यात 18 फीसदी बढ़कर 2.43 अरब डॉलर हुआ. गैर-अमेरिकी बाजारों में निर्यात 30 फीसदी बढ़ा, जबकि अमेरिका में टैरिफ बढ़ने से निर्यात केवल 5 फीसदी बढ़ा है. वियतनाम और बेल्जियम जैसे नए बाजारों ने बढ़ोतरी में मदद की, लेकिन साल के दूसरे हिस्से में अमेरिकी दबाव निर्यात पर असर डाल सकता है.

Kisan India
नोएडा | Published: 22 Nov, 2025 | 10:30 PM

shrimp export: भारत के झींगा (श्रिम्प) निर्यात ने FY26 के पहले पांच महीनों में अच्छी बढ़त दर्ज की है. CareEdge रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, कुल निर्यात मूल्य 18 फीसदी बढ़कर 2.43 अरब डॉलर हो गया है. जबकि शिपमेंट की मात्रा 3.48 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ी है. यानी यह 11 फीसदी की वृद्धि है. यह वृद्धि मुख्य रूप से अमेरिका के बाहर के बाजारों से आई, जहां निर्यात मूल्य में 30 फीसदी का उछाल आया. इसका कारण भारतीय निर्यातकों का अन्य देशों में व्यापार बढ़ाना है. इन गैर-अमेरिकी बाजारों का हिस्सा कुल निर्यात में 51 फीसदी से बढ़कर 57 फीसदी हो गया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के दबाव और कम नई ऑर्डरों के कारण H2 2025-26 में निर्यात की रफ्तार थोड़ी धीमी हो सकती है, लेकिन उद्योग नए बाजारों में पहुंच बढ़ाकर और यूरोप व रूस के लिए अधिक इकाइयों को एक्सपोर्ट की मंजूरी देकर इसका असर कम कर रहा है. प्रमुख गैर-अमेरिकी बाजारों में वियतनाम, बेल्जियम, चीन, रूस आदि शामिल हैं, जिन्होंने कुल बढ़ी हुई निर्यात मूल्य का 86 फीसदी योगदान दिया. भारतीय झींगा  का परंपरागत प्रमुख बाजार अमेरिका में FY26 के पहले पांच महीनों में निर्यात लगभग 5 फीसदी बढ़ा, जो पिछले साल की तुलना में मामूली वृद्धि है. CareEdge की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2025 में निर्यात में तेज गिरावट आई, जबकि साल की शुरुआत में निर्यात बढ़ा था, क्योंकि उस समय उच्च प्रतिवादी (reciprocal) टैरिफ लगने से पहले ज्यादा शिपमेंट किया गया था.

भारतीय झींगा पर उच्च टैरिफ

साल 2025-26 की शुरुआत से ही अमेरिका ने भारतीय झींगा पर उच्च टैरिफ  लगाए हैं, जिसमें पहले से मौजूद एंटी-डंपिंग और काउंटरवेलिंग शुल्क भी शामिल हैं. अप्रैल-अगस्त 2025 के बीच भारत पर प्रभावी टैरिफ 18 फीसदी था, जबकि इक्वाडोर और इंडोनेशिया पर 13-14 फीसदी ही था. अगस्त के बाद भारत पर टैरिफ 58 फीसदी तक बढ़ गया, जबकि प्रतियोगी देशों पर 18-49 फीसदी ही रहा. इस उच्च टैरिफ की वजह से भारत की अमेरिकी बाजार में कीमत प्रतिस्पर्धा कमजोर हुई और इसका फायदा इक्वाडोर और इंडोनेशिया को मिला.

2025 के मुकाबले निर्यात 35 फीसदी कम हो गया

अमेरिका को निर्यात मई 2025 में 0.27 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष के औसत मासिक निर्यात  से अधिक है. अमेरिका में आमतौर पर निर्यात तीसरी तिमाही में अपने उच्च स्तर पर पहुंचता है, लेकिन इस साल यह पहले से ही बढ़ा हुआ था. CareEdge के अनुसार, साल के दूसरे हिस्से में अमेरिकी निर्यात घटने की संभावना है, जो अगस्त 2025 में स्पष्ट दिख गई जब जुलाई 2025 के मुकाबले निर्यात 35 फीसदी कम हो गया.

चीन को निर्यात, जो गैर-अमेरिकी निर्यात में सबसे बड़ा हिस्सा है, 16 फीसदी बढ़ा, जबकि जापान में स्थिति स्थिर रही. वियतनाम का निर्यात 0.18 अरब डॉलर तक दोगुना हुआ, जो इसे एक बढ़ते हुए री-एक्सपोर्ट हब के रूप में दिखाता है. बेल्जियम को निर्यात भी दोगुना होकर 0.14 अरब डॉलर हुआ, इसका कारण EU में बढ़ी मांग और भारतीय निर्यातकों द्वारा ट्रेसबिलिटी मानकों का बेहतर पालन है.

अमेरिका में झींगा निर्यात

CareEdge के रेटिंग एसोसिएट डायरेक्टर रतीश कुमार के अनुसार, अमेरिका में उच्च टैरिफ की वजह से भारत के झींगा निर्यात  में इस साल 10-12 फीसदी की गिरावट आ सकती है. हालांकि, नए बाजारों में विविधीकरण और साल की शुरुआत में अग्रिम शिपमेंट के कारण इसका कुछ असर कम हुआ है. निकट भविष्य में अमेरिकी खरीदार मौजूदा आदेशों पर बढ़े हुए टैरिफ की लागत आंशिक रूप से सहन करेंगे, लेकिन नए ऑर्डर में मंदी और लगातार टैरिफ दबाव निर्यात की गति पर असर डाल सकते हैं.

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Published: 22 Nov, 2025 | 10:30 PM

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