भारत के कृषि निर्यात ने तोड़ा रिकॉर्ड, 6 महीनों में 12 प्रतिशत की उछाल, जानिए किन फसलों की बढ़ी मांग

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस रफ्तार से यदि भारत आगे बढ़ता रहा, तो इस वित्त वर्ष के अंत तक देश 30 अरब डॉलर से अधिक का एग्री एक्सपोर्ट हासिल कर सकता है. सरकार की “फार्म टू ग्लोबल मार्केट” पहल और ई-नाम प्लेटफॉर्म जैसी योजनाएं किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रही हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 4 Nov, 2025 | 09:37 AM

Export Growth: भारत का कृषि निर्यात अब सिर्फ परंपरागत उत्पादों तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रोसेस्ड फूड, ऑर्गेनिक उत्पादों और पैकेज्ड आइटम्स में भी बड़ी वृद्धि हो रही है. सरकार की नई नीतियों और किसानों को वैश्विक बाजार से जोड़ने की योजनाओं ने इस वृद्धि को और गति दी है. भारतीय कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश का कृषि व्यापार मूल्य अब 13.93 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 12.47 अरब डॉलर था.

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यही रफ्तार जारी रही, तो भारत इस वित्त वर्ष के अंत तक कृषि निर्यात का नया रिकॉर्ड बना सकता है. किसानों की मेहनत, तकनीक का उपयोग और सरकार की सहायक नीतियां मिलकर भारत को कृषि निर्यात के क्षेत्र में वैश्विक नेता बना सकती हैं.

नॉन-बासमती चावल ने बनाया नया रिकॉर्ड

भारतीय चावल की खुशबू और स्वाद की मांग दुनिया भर में बढ़ रही है. खासतौर पर नॉन-बासमती चावल के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है. इस साल अप्रैल से सितंबर के बीच इसका निर्यात मूल्य 27 प्रतिशत बढ़कर 2.87 अरब डॉलर तक पहुंच गया. वहीं, पिछले साल यह आंकड़ा 2.25 अरब डॉलर था. निर्यात मात्रा में भी 51 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इसका सबसे बड़ा कारण अफ्रीकी और एशियाई देशों में भारतीय नॉन-बासमती की मांग में तेजी है.

बासमती चावल की स्थिति स्थिर, मामूली गिरावट

बासमती चावल के निर्यात में इस बार थोड़ी गिरावट जरूर दर्ज की गई है, लेकिन बाजार में इसकी पकड़ अब भी मजबूत है. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में इसका निर्यात 2.76 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल 2.86 अरब डॉलर था. हालांकि, मात्रा के हिसाब से थोड़ा सुधार हुआ है, जो दर्शाता है कि भारतीय बासमती की वैश्विक मांग स्थिर बनी हुई है.

मांस और दालों की बढ़ी मांग

भैंस के मांस का निर्यात भी तेजी से बढ़ा है. मूल्य के लिहाज से इसमें 17 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है और यह अब 2.18 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. वहीं दालों के निर्यात में 25 प्रतिशत की बड़ी बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे किसानों को सीधा फायदा हुआ है. वैश्विक स्तर पर प्रोटीन युक्त आहार की बढ़ती मांग ने भारतीय दालों को नए बाजार दिलाए हैं.

फलों, जूस और सब्जियों ने बढ़ाई भारत की साख

भारत के फल, सब्जियां और जूस भी अब विदेशी बाजारों में अपनी जगह बना रहे हैं. ताजे फलों के निर्यात में 31 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि प्रोसेस्ड फूड्स जैसे जूस और फल उत्पादों में भी 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. इससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ी है, बल्कि भारत की छवि ‘कृषि ब्रांड’ के रूप में मजबूत हुई है.

कृषि निर्यात के बढ़ने से किसानों को मिलेगा लाभ

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस रफ्तार से यदि भारत आगे बढ़ता रहा, तो इस वित्त वर्ष के अंत तक देश 30 अरब डॉलर से अधिक का एग्री एक्सपोर्ट हासिल कर सकता है. सरकार की “फार्म टू ग्लोबल मार्केट” पहल और ई-नाम प्लेटफॉर्म जैसी योजनाएं किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रही हैं. कुल मिलाकर, भारत का कृषि क्षेत्र अब सिर्फ आत्मनिर्भरता की दिशा में नहीं, बल्कि वैश्विक खाद्य आपूर्ति में एक मजबूत स्तंभ बनने की राह पर है.

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