रबी सीजन की बुवाई शुरू होने से पहले किसानों के लिए जरूरी है कि वे अपने खेत की मिट्टी का सही समय और सही तरीके से सैंपल लेकर जांच कराएं. मिट्टी परीक्षण से पता चलता है कि खेत में कौन-कौन से पोषक तत्व हैं और किसकी कमी है. विशेषज्ञों के अनुसार, बिना मिट्टी की जांच किए मनमानी फसल बोना नुकसानदेह हो सकता है. सही तरीके से मिट्टी जांच कराने से लागत कम होगी और फसल की पैदावार बढ़ेगी.
मिट्टी परीक्षण का महत्व
किसान अक्सर बिना जांच के खेती शुरू कर देते हैं, जिससे फसल प्रभावित होती है. विशेषज्ञ बताते हैं कि बुवाई से पहले मिट्टी की जांच कराना जरूरी है ताकि मिट्टी की सही स्थिति समझ आ सके. इससे खाद का सही इस्तेमाल हो सकेगा और पैदावार में वृद्धि होगी.
कब करें मिट्टी की सैंपलिंग
फसल के दौरान मिट्टी का सैंपल नहीं लेना चाहिए, क्योंकि खाद के कारण जांच में सही परिणाम नहीं मिलेंगे. बेहतर होगा कि फसल कटने के बाद या खेत खाली होने पर मिट्टी की जांच करवाई जाए.
मिट्टी का सैंपल लेने का सही तरीका
खेत में आधा फुट गहरा गड्ढा खोदें और ऊपर की मिट्टी हटा दें. खेत के 15-20 अलग-अलग जगहों से मिट्टी लेकर एक जगह मिक्स करें. मिश्रण को चार भागों में बांटकर दो भाग फेंक दें. इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं जब तक आधा किलो मिट्टी बच न जाए. यही मिट्टी जांच के लिए लैब में भेजनी चाहिए.
मिट्टी परीक्षण कहां कराएं
जिले के कृषि विभाग कार्यालयों में Soil Testing Mini Lab उपलब्ध है, जहां किसान मिट्टी का सैंपल लेकर जांच करवा सकते हैं. इस सुविधा से किसान आसानी से अपनी मिट्टी की गुणवत्ता का पता लगा सकते हैं.
सही जानकारी से बढ़ाएं फसल की पैदावार
मिट्टी परीक्षण के बाद ही खाद और पोषक तत्वों का सही इस्तेमाल संभव है. इससे खेती की लागत कम होती है और पैदावार बेहतर होती है. किसान भाइयों को चाहिए कि वे बिना जांच के मनमानी खेती करने से बचें और मिट्टी परीक्षण को प्राथमिकता दें.