औंधे मुंह गिरा सेब का रेट, किसानों को 400 रुपये पेटी हो रहा नुकसान.. अब सरकार बस एक गुहार
हिमाचल के सेब किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक तरफ मौसम की तबाही, दूसरी तरफ मंडियों में गिरते दाम से किसान परेशान हैं. सेब की पेटी 500 से 1500 रुपये में बिक रही है, जिससे लागत भी नहीं निकल रही है.
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश की मार झेल रहे किसानों-बागवानों पर अब सेब के औंधे मुंह गिरे दामों ने भी संकट खड़ा कर दिया है. बागवानों का कहना है कि मंडियों में प्रतिदिन सेब के दाम गिर रहे हैं, जिससे उनकी मेहनत पर पानी फिर रहा है. इस समय एक पेटी सेब मात्र 500 से 1500 रुपये में बिक रही है. इससे फायदा तो दूर लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में किसानों राज्य सरकार से सेब की गिरती कीमत को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है. साथ ही किसानों ने आर्थिक मदद की भी गुहार लगाई है.
किसानों के अनुसार, 500 रुपये में बिकने वाली पेटी में बागवानों को 400 रुपये का घाटा हो रहा है, जबकि 1500 रुपये वाली पेटी में भी खास बचत नहीं हो रही. बागवानों ने आरोप लगाया कि मंडियों में लदानियों और आड़तियों की मिलीभगत से मनमाने दाम दिए जा रहे हैं. पराला से पिंजौर तक सक्रिय इस गिरोह के चलते बागवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसे में किसानों ने सरकार से हस्तक्षेप करने और ठोस कदम उठाने की मांग की है, ताकि बागवानी व्यवसाय को बचाया जा सके. बागवानों का कहना है कि अच्छी फसल की उम्मीदें अब टूट चुकी हैं और सेब के दाम गिरने से वे खून के आंसू रोने को मजबूर हैं.
सेब किसानों के सामने बहुत बड़ी समस्या
वहीं, पिछले हफ्ते खबर सामने आई थी कि मंडी जिले के सेब किसान इस वक्त बड़ी मुसीबत से जूझ रहे हैं. पिछले एक महीने से लगातार बारिश और भूस्खलन के कारण 191 सड़कें बंद हैं, जिससे सेब मंडियों तक पहुंचाना मुश्किल हो गया है. सबसे ज्यादा असर सेराज और करसोग विधानसभा क्षेत्रों में पड़ा है. सेराज में 85 PWD सड़कें, जबकि करसोग में 17 सड़कें अब भी बंद हैं. इसके अलावा कई पंचायत स्तर की गांव लिंक सड़कें भी ठप पड़ी हैं, जिससे दूर-दराज के किसानों का संपर्क पूरी तरह कट गया है.
क्या कहते हैं सेब किसान
बग्राथाच (सेराज) के किसान गुमान सिंह कहते हैं कि सेब पूरी तरह तैयार है, लेकिन सड़कों के बिना हम उसे बाजार तक कैसे ले जाएं? अगर हालात जल्द नहीं सुधरे तो हमें भारी नुकसान होगा. हालांकि, प्रशासन ने क्षेत्र की मुख्य सड़कों को खोलने के लिए मशीनें लगाई थीं. अधिकारियों का अनुमान था कि अगले चार दिनों में सड़क संपर्क बहाल किया जा सकता है. लेकिन लगातार बारिश मरम्मत और मलबा हटाने के काम में बड़ी रुकावट बन रही है. सेराज के बरयोगी क्षेत्र की निवासी का कहना था कि एक महीने से ज्यादा हो गया है, हमारा इलाका पूरी तरह से कटा हुआ है. फल तुड़ाई के लिए तैयार है, लेकिन हम फंसे हुए हैं और कुछ कर नहीं पा रहे.