किसानों की बंपर कमाई, 3000 रुपये किलो बिक रहा ये मसाला..अचानक मार्केट में बढ़ी डिमांड

पोल्लाची में जायफल की कीमतें 3,050 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं. भारी बारिश और फफूंदी की वजह से उच्च गुणवत्ता का स्टॉक कम हुआ. जल्दी हुई फसल और सीमित स्टॉक के कारण खरीदार सामान्य समय से पहले ही खरीदने लगे. 300 से अधिक किसान अपनी पूरी फसल बेच चुके हैं.

नोएडा | Published: 2 Dec, 2025 | 11:00 AM

Tamil Nadu News: तमिलनाडु के कोयम्बटोर में पोल्लाची के किसानों को इस बार मार्केट में जायफल का अच्छा रेट मिल रहा है. खास बात यह है कि इसके बावजूद क्षेत्र का अधिकांश स्टॉक अब बिक चुका है. अभी पोल्लाची जायफल कीमत 3,050 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई, जो इसे इस सीजन की सबसे महंगी मसालों में से एक बनाती है. हालांकि, पोल्लाची नटमेक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (PNFPC) ने जायफल की शुरुआती कीमत 2,850 रुपये प्रति किलो तय की थी, जो मध्य अक्टूबर तक 3,000 रुपये और अब 3,050 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गई. ऐसे इस साल पोल्लाची में 18 टन जायफल का उत्पादन हुआ है.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, साधारण रूप से 1,500 रुपये प्रति किलो बिकने वाला टूटा हुआ जायफल  भी इस साल 1,800 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया. वहीं, कम गुणवत्ता वाला लाल जायफल की कीमत पूरे सीजन 2,500 रुपये प्रति किलो से नीचे नहीं गई. पोल्लाची के किसान आमतौर पर जायफल को लाल अवस्था में काटते हैं, धीरे-धीरे सुखाते हैं और एयरटाइट ड्रम में रखकर दिसंबर के अंत और जनवरी की शुरुआत में कीमतें बढ़ने तक स्टॉक रखते हैं. लेकिन इस साल, अप्रैल के पहले हफ्ते में बारिश के कारण फसल का मौसम असामान्य रूप से जल्दी शुरू हुआ, जबकि आमतौर पर यह जून में होती है. इसके बावजूद, किसान केवल तभी अपने स्टॉक बेचने को तैयार थे जब कीमत 2,800 रुपये प्रति किलो तक पहुंची.

छह टन उच्च गुणवत्ता वाला जायफल बेचा

नटमेक-मेस किसान और PNFPC के प्रबंध निदेशक ने R. रंजीत कुमार ने कहा कि PNFPC ने अब तक छह टन उच्च गुणवत्ता वाला जायफल बेचा है और अधिकांश स्टॉक अब बिक चुका है. इस सीजन में भारत भर के रिटेलर्स सीधे कंसोर्टियम से खरीदने के लिए पहुंचे, क्योंकि मांग अधिक और आपूर्ति सीमित थी. R. रंजीत कुमार ने कहा कि इस साल कीमत बढ़ने का कारण जुलाई में असामान्य भारी बारिश  रही, जिससे बड़ी मात्रा में दूसरे दर्जे के मेस पर फफूंदी लग गई और उच्च गुणवत्ता वाला मेस कम उपलब्ध हुआ. बाजार में सिर्फ सीमित उच्च गुणवत्ता का स्टॉक होने के कारण, पारंपरिक खरीदार सितंबर में ही खरीदारी शुरू कर दिए, जो सामान्य समय से काफी पहले है. इसके अलावा, जल्दी हुई फसल के कारण जायफल पहले ही पीला हो गया, जिससे बाजार में गतिविधि तेजी से बढ़ी.

फफूंदी प्रभावित जायफल से किसानों की बढ़ी चिंता

किसान K. विष्णुवनटन ने कहा कि कीमत बढ़ने से खुशी है, लेकिन फफूंदी प्रभावित जायफल की अधिक मात्रा से किसानों में चिंता है. पिछले साल जायफल की सबसे अधिक कीमत 2,400 रुपये प्रति किलो थी. उन्होंने कहा कै कि इस साल 300 से अधिक किसान, जिनमें वह खुद भी शामिल हैं, मौजूदा कीमत से संतुष्ट हैं और उन्होंने पूरी फसल बेच दी है, जो सामान्यतः जनवरी तक रहती.

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