कागज पर नहीं डिजिटल तरीके से हो रही पशुओं की गिनती, सटीक डाटा मिल रहा

2019 की 20वीं पशुधन संगणना में पहली बार टैबलेट से डेटा जुटाया गया, जिससे गिनती तेज और सटीक हुई. इस बदलाव से किसानों को योजनाओं का लाभ मिलने के साथ देश की खाद्य सुरक्षा भी मजबूत हुई.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 13 May, 2025 | 06:12 PM

पहले जहां पशुधन की गिनती कागज़ और कलम से होती थी, वहीं 2019 में 20वीं पशुधन संगणना में पहली बार डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया. टेबलेट के माध्यम से आंकड़े इकट्ठा किए गए, जिससे न सिर्फ डेटा की सटीकता बढ़ी, बल्कि प्रक्रिया भी तेज हुई. इसके अलावा, दूध, अंडा, मांस और ऊन के उत्पादन का सालाना सर्वे भी डिजिटल तरीके से होने लगा. यह बदलाव न केवल किसानों के लिए योजनाएं बनाने में मददगार साबित हो रहा है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और पशुपालन क्षेत्र में भी नया दृष्टिकोण दे रहा है.

डेटा का सटीक और तेज कलेक्शन

2019 में हुई पशुधन संगणना में पहली बार टेबलेट का इस्तेमाल किया गया, जिससे आंकड़े कागज के मुकाबले जल्दी और सटीक रूप से इकट्ठा किए गए. पहले, पशुओं की संख्या गिनने के लिए कागज पर आंकड़े दर्ज किए जाते थे, लेकिन अब डिजिटल टेक्नोलॉजी की मदद से यह प्रक्रिया न केवल तेज हो गई है, बल्कि मानव त्रुटियों से भी बचा जा सकता है. इससे नीति निर्माता शीघ्र और सटीक डेटा के आधार पर योजनाएं बना सकते हैं, जो समग्र विकास के लिए अधिक प्रभावी साबित होती हैं.

मार्च से फरवरी तक आंकड़े इकट्ठा

पशुधन की संख्या के अलावा, भारत में हर साल दूध, अंडा, मांस और ऊन का उत्पादन भी मापा जाता है. इसके लिए ‘एकीकृत नमूना सर्वेक्षण’ का आयोजन किया जाता है, जो केंद्रीय सरकार की योजना के तहत राज्य सरकारों के माध्यम से लागू होता है. यह सर्वे मार्च से फरवरी तक पूरे साल के आंकड़े एकत्र करता है. इन आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है और देखा जाता है कि मौसम या किसी अन्य घटना का उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ा. इससे यह जानकारी मिलती है कि भारत में कितना दूध, अंडा, मांस और ऊन उत्पादित हुआ और किस राज्य का योगदान कितना रहा.

सटीक योजनाओं के लिए जरूरी हैं पक्के आंकड़े

भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, उसके लिए पशुधन संगणना और एकीकृत नमूना सर्वेक्षण बेहद जरूरी हैं. इन आंकड़ों के जरिए सरकार के पास न केवल सटीक जानकारी होती है, बल्कि उन्हीं के आधार पर नस्ल सुधार, चारा वितरण, टीकाकरण और मार्केटिंग जैसी योजनाएं किसानों तक पहुंचाई जाती हैं. इससे न सिर्फ किसान लाभान्वित होते हैं, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होती है. ये आंकड़े यह भी बताते हैं कि कौन-सा क्षेत्र पशुपालन में आगे है, किस नस्ल की गाय ज्यादा दूध देती है और कहां बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर या प्रशिक्षण की जरूरत है.

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Published: 13 May, 2025 | 06:12 PM

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