पहाड़ों की बंजर जमीन उपजाऊ बनाने के लिए नई योजना, पारंपरिक खेती से सुधार का चरण शुरू होगा

उत्तराखंड सरकार ने कई जिलों की बेकार पड़ी जमीन का इस्तेमाल कृषि उत्पादन बढ़ाने में करने के लिए सामूहिक सहकारी खेती योजना का शुभारंभ कर दिया है.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Updated On: 4 Aug, 2025 | 07:44 PM

पहाड़ी इलाकों में बंजर या खराब पड़ी जमीन को खेती लायक बनाने के लिए राज्य सरकार ने सामूहिक सहकारी खेती योजना की शुरुआत की है. इसके तहत खाली और बेकार पड़ी जमीनों का इस्तेमाल कृषि उत्पादों के उत्पादन में किया जाएगा. इसके लिए इलाकाई किसानों की मदद ली जाएगी. योजना के तहत पारंपरिक खेती की शुरुआत करके मिट्टी को सुधारने का चरण शुरू होगा, उसके बाद मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ने पर हर की खाद्यान्न या बागवानी फसलों की खेती शुरू की जाएगी.

उत्तराखंड सरकार ने पौड़ी समेत कई जिलों की बेकार पड़ी जमीन का इस्तेमाल कृषि उत्पादन बढ़ाने में करने की तैयारी पूरी करते हुए सामूहिक सहकारी खेती योजना का शुभारंभ कर दिया है. राज्य सरकार की ओर से पौड़ी जिले में योजना का शुभारंभ किया गया है.ग्रामीण क्षेत्रों में बंजर भूमि के सदुपयोग, पारंपरिक खेती के आधुनिकीकरण और किसानों की आय बढ़ाने के इरादे से इस योजना की शुरूआत की गई.

लागत में कमी और किसानों की आमदनी बढ़ेगी

पौड़ी जिले के पाबौ में आयोजित एक कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने वीर माधो सिंह भंडारी सामूहिक सहकारी खेती योजना का विधिवत शुभारंभ किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह योजना उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में बंजर भूमि के सदुपयोग, पारंपरिक खेती के आधुनिकीकरण के रूप में किया जाएगा. इसके जरिए लागत में कमी और किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में एक निर्णायक पहल है.

बंजर जमीन क्लस्टर मॉडल में विकसित होगी

सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि यह योजना सहकारिता विभाग की ओर से चलाई जा रही बंजर खेतों को आबाद करने की विशेष मुहिम का हिस्सा है. इसके तहत ग्रामीणों से बंजर भूमि को क्लस्टर मॉडल में लेकर, उस पर आधुनिक कृषि तकनीकों के माध्यम से खेती की जाएगी. डॉ. रावत ने जानकारी दी कि विकासखंड पाबौ के चोपड़ा गांव में लगभग 170 नाली भूमि पर विकसित की जा रही परियोजना इस दिशा में एक आदर्श मॉडल बन रही है.

मिलेट्स और फूलों की खेती करेंगे किसान

सहकारिता मंत्री ने कहा कि अन्य विकासखंड में मिलेट्स और फूलों की खेती की जाएगी, जिससे न केवल भूमि का पुनर्जीवन होगा. बल्कि, स्थानीय किसानों को कमाई का एक नया सोर्स भी मिलेगा. योजना के अंतर्गत किसानों को क्लस्टर मॉडल में संगठित कर सामूहिक खेती कराई जाएगी. शुरुआत में पारंपरिक फसलों को उगाने से चरण शुरू होगा. उन्होंने कहा कि मिट्टी की सुधार के साथ वातावरण में बड़े स्तर पर भी सुधार होगा.

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Published: 4 Aug, 2025 | 07:40 PM

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