काली मिर्च यानी ब्लैक पेपर न केवल खाने का स्वाद बढ़ाती है बल्कि सेहत के लिए भी यह बेहद ही फायदेमंद होती है. किसानों को भी की इसकी खेती से अच्छा फायदा होता है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से इसकी कीमतों ने उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ा दी है. काली मिर्च के मंडी रेट में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. किसी मंडी में इसकी कीमतों में गिरावट आ रही है तो वहीं कुछ मंडियों में काली मिर्च की कीमतें बढ़ रही हैं. काली मिर्च भारतीय रसोई का एक अभिन्न हिस्सा है. ऐसे में काली मिर्च घटती-बढ़ती कीमतें सीधा उपभोक्ताओं की रसोई पर असर डालेंगी. उपभोक्ताओं के लिए यह सोचने वाली बात है कि मंडी से निकलकर काली मिर्च उनके पास किस दाम में पहुंचेगी.
काली मिर्च के मंडी रेट में उतार-चढ़ाव
पिछले 10 से 12 दिनों के बीच काली मिर्च के मंडी रेटों में कहीं कमी तो कहीं बढ़त हो रही है. सरकार ने एक आंकड़ा जारी करते हुए काली मिर्च का मंडी रेट जारी किया है. आंकड़े के अनुसार केरल के कन्नूर जिले की इरिकू में 1 मई को काली मिर्च की कीमत 66 हजार प्रति क्विंटल थी. वहीं 12 मई को ये कीमत 1 हजार रुपये बढ़कर 67 हजार रुपये प्रति क्विंटल थी.
वायनाड की कालपेट्टा मंडी की तो 2 मई को यहां काली मिर्च की कीमत 67 हजार थी. वहीं 12 मई को ये कीमत 1.5 हजार रुपये घटकर 65 हजार 500 रुपये प्रति क्विंटल थी. इसके अलावा मैंगलोर की बैठांगड़ी मंडी में 12 मई को काली मिर्च की कीमत सबसे कम 32 हजार रुपये प्रति क्विंटल थी.

Black Pepper Fresh Mandi Rate
सरकार सस्ते में बेच रही काली मिर्च
दरअसल , अगर आप ई-कॉमर्स साइट्स पर काली मिर्च की काीमतों को देखेंगे तो काली मिर्च का 100 ग्राम का पैकेट आपको करीब 135 से 150 के बीच मिलेगा .सरकारी ई-कॉमर्स साईट नाफेड पर उपभोक्ताओं की सहूलियत के लिए काली मिर्च का 100 ग्राम का पैकेट 104 रुपये में ही उपलब्ध है. यानी सरकार खुले बाजार से कम कीमतों पर काली मिर्च उपलब्ध करा रही है.
केरल में होता है 98 फीसदी उत्पादन
भारत में सबसे ज्यादा काली मिर्च की खेती दक्षिण भारत में होती है. भारत में काली मिर्च के कुल उत्पादन का 98 फीसदी उत्पादन केरल में होता है. केरल के बाद कर्नाटक और तमिलनाडु में काली मिर्च का उत्पादन ज्यादा होता है. भारत की काली मिर्च दुनिया भर के कई बड़े देशों में एक्सपोर्ट की जाती है.