Mandi Bhav: बारिश से 30 फीसदी फसल बर्बाद, होलसेल मार्केट 35 रुपये किलो हुआ टमाटर
सोलन एपीएमसी (APMC) के आंकड़ों के मुताबिक, इस सीजन में अब तक 2,83,548 क्रेट टमाटर बिक चुके हैं. हर क्रेट का वजन 24 किलो होता है. टमाटर के दाम प्रति क्रेट 600 से 5,200 रुपये के बीच रहे हैं, जबकि औसत कीमत 3,300 रुपये प्रति क्रेट रही है.
हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में पिछले दो हफ्तों से लगातार हो रही बारिश से फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. खासकर धरमपुर क्षेत्र में टमाटर की फसल बुरी तरह तरह से बर्बाद हो गई है. खेतों में पानी भरने से फसल खराब हो गई है और कई संपर्क सड़कें भी बह गई हैं, जिससे मंडियों तक टमाटर पहुंचाना मुश्किल हो गया है. इससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. वहीं, मंडी में टमाटर का रेट 35 रुपये किलो पहुंच गया है. ऐसे में किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं.
धरमपुर की एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (APMC) के अधिकारियों के मुताबिक, भारी बारिश के चलते टमाटर की आवक में तेज गिरावट आई है. खेतों में ज्यादा नमी के कारण टमाटर फटने और सड़ने लगे हैं, जिससे बड़ी मात्रा में नुकसान हुआ है.
30 फीसदी तक फसल को नुकसान
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 साल से टमाटर के कारोबार में जुड़े व्यापारी संजय कुमार ने कहा कि सामान्य तौर पर सीजन में करीब 10 फीसदी फसल खराब होती है, लेकिन इस बार यह नुकसान 30 फीसदी तक पहुंच गया है. इससे टमाटर की कीमतें भी गिर गई हैं. पहले जहां दाम 45 प्रति किलो थे, अब धरमपुर की मंडियों में यह 35 प्रति किलो पर आ गए हैं. इससे किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
2,83,548 क्रेट टमाटर की बिक्री
सोलन एपीएमसी (APMC) के आंकड़ों के मुताबिक, इस सीजन में अब तक 2,83,548 क्रेट टमाटर बिक चुके हैं. हर क्रेट का वजन 24 किलो होता है. टमाटर के दाम प्रति क्रेट 600 से 5,200 रुपये के बीच रहे हैं, जबकि औसत कीमत 3,300 रुपये प्रति क्रेट रही है.
किसान साल में दो बार टमाटर उगाते हैं
टमाटर की खरीदी 15 जून से शुरू हुई है और यह सितंबर मध्य तक चलेगी. इस इलाके के किसान साल में दो बार टमाटर उगाते हैं. एक बार फरवरी में रबी सीजन में और दूसरी बार मॉनसून के दौरान, जिसकी कटाई साल के अंत में होती है. हालांकि, नवंबर से जनवरी के बीच ठंड के कारण फूल और फल नहीं बनते, इसलिए उस वक्त टमाटर की खेती बंद रहती है.
प्रभावित हो सकती है टमाटर की अगली बुवाई
लेकिन इस साल की मॉनसूनी फसल को भारी नुकसान हुआ है. सड़कों और अन्य ढांचों को नुकसान, फसल का ज्यादा खराब होना और गिरते दाम किसानों की आजीविका पर बड़ा असर डाल रहे हैं. कई किसान इस सीजन से पिछली भरपाई की उम्मीद कर रहे थे, जो अब टूटती दिख रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मौसम जल्द नहीं सुधरा, तो इसका असर सिर्फ इस फसल तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अगली बुवाई भी प्रभावित हो सकती है.