मॉनसून सीजन की शुरुआत के साथ ही किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई शुरू कर दी थी. देशभर के ज्यादातर हिस्सों में किसान खरीफ फसलों की बुवाई कर चुके हैं, कुछ किसान ऐसे भी हैं जो अभी भी फसलों की बुवाई कर रहे हैं. एक ओक कुछ किसान बारिश होने से खुश हैं क्योंकि उनकी फसलों का विकास अच्छे से हो रहा है और फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा है वहीं देश का कुछ हिस्सा ऐसा भी है जहां जरूरत से ज्यादा बारिश के कारण बाढ़ से किसानों की फसल बर्बाद हो गई है और किसानों को भारी नुकसान उठाने के साथ-साथ उनके सामने आर्थिक संकट भी आ गया है. ऐसे में कुछ तरीके हैं जिनकी मदद से बाढ़ में फसल खराब होने पर भी वे अपने नुकसान की भरपाई कर सकते हैं.
जल निकासी की व्यवस्था करें
खेत में जितनी ज्यादा देर के लिए पानी रहेगा फसल के बर्बाद होने का खतरा उतना ही बढ़ता जाएगा. ऐसे में किसाने के लिए सलाह है कि अगर बाढ़ का पानी खेत में घुस भी गया है तो उसे खेत से बाहर निकालने की व्यवस्था करें. खेत में बनाई गईं नालियों की अच्छे से सफाई करें और खेत में ऊंची मेड़ काटकर पानी को बाहर की ओर बहाएं ताकि खेत में पानी जमा न होने पाए. इतना करने के बाद खेत की मिट्टी को खुले में धूप लगने के लिए छोड़ दें ताकि धूप लगने से मिट्टी सूख जाए.
फसल बीमा का उठाएं लाभ
जिन किसानों ने पीएम फसल बीमा योजना के तहत अपनी खरीफ फसलों का बीमा करवाया है, उन किसानों के लिए सलाह है कि फसल बाढ़ में फसल बर्बाद होने की स्थिति में किसान तुरंत फसल बीमा का लाभ उठाकर अपने नुकसान की भरपाई करें. इसके लिए किसान योजना से संबंधित ग्राम सेवक या नजदीकी कृषि विभाग में जाकर कृषि अधिकारी से संपर्क करें. किसानों को ध्यान रखना होगा कि फसल बर्बाद होने पर उन्हें 72 घंटे से 7 दिन के अंदर कृषि अधिकारी को जानकारी देनी होगी.
मिट्टी की जांच कराएं
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जरूरत से ज्यादा पानी मिलने पर मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व धुल जाते हैं और मिट्टी की उर्वरक क्षमता कमजोर पड़ने लगती है. ऐसे में किसानों के लिए जरूरी है कि वे अपने खते की मिट्टी का सैंपल लेकर नजदीकी मिट्टी जांच केंद्र में जाकर मिट्टी की जांच करवा लें ताकि ये अंदाजा लग सके कि खेत में किस फसल की बुवाई हो सकती है. मिट्टी की जांच हो जाने के बाद किसान अपने खेत मिट्टी के अनुसार ऐसी फसलों की बुवाई कर सकते हैं जो कि कम समय में बेहतर उत्पादन दे सकें. ऐसा करने से किसानों को कुछ हद तक फायदा मिलेगी और उनके नुकसान की थोड़ी सी भरपाई हो सकेगी.