अमेरिका के किसानों के लिए बड़ा झटका, चीन के बाद भारत ने भी रोकी दाल-बींस की खरीद

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के कारण अमेरिकी किसानों को पहले ही नुकसान उठाना पड़ रहा है. चीन ने हाल ही में सोयाबीन और मक्का की खरीद में कमी कर दी है. अब भारत के खरीदार भी अमेरिका से हरी मसूर, पीली मटर और चना जैसी दालों और फलियों के आयात में दूरी बना रहे हैं.

नई दिल्ली | Updated On: 25 Aug, 2025 | 02:58 PM

पिछले कुछ महीनों में अमेरिकी कृषि उत्पादकों को लगातार झटके लग रहे हैं. सबसे पहले चीन ने अमेरिका से सोयाबीन की खरीद रोक दी, और अब भारत ने भी अमेरिकी दालों और फलियों (Beans) की खरीद पर रोक लगा दी है. भारतीय खरीदारों का डर है कि अगर मोदी सरकार अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लागू करती है, तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है. यही वजह है कि उन्होंने नई खेप की लोडिंग अगस्त के आखिर तक रोक दी है.

अमेरिका और चीन के झटके के बीच भारत

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के कारण अमेरिकी किसानों को पहले ही नुकसान उठाना पड़ रहा है. चीन ने हाल ही में सोयाबीन और मक्का की खरीद में कमी कर दी है. अब भारत के खरीदार भी अमेरिका से हरी मसूर, पीली मटर और चना जैसी दालों और फलियों के आयात में दूरी बना रहे हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत से अमेरिका तक खेप पहुंचने में कम से कम 6 हफ्तों का समय लगता है. इस दौरान अगर मोदी सरकार अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाएगी, तो खरीदारों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए उन्होंने पहले ही खरीद पर रोक लगा दी है.

भारत में अमेरिकी दालों का महत्व

भारत में अमेरिका से आने वाली हरी मसूर और अन्य दालों का इस्तेमाल कई राज्यों में राशन वितरण के लिए भी किया जाता है. उदाहरण के लिए, तमिलनाडु में अमेरिका से आयात की गई हरी मसूर राशन की दुकानों के माध्यम से वितरित की जाती है. बीते साल अमेरिका से 44,000

मसूर और अन्य फलियों की कटाई कर रहे अमेरिकी किसानों के लिए यह स्थिति चिंताजनक है. थूथुकुडी के एक खरीदार ने अमेरिका से 10,000 टन हरी मसूर खरीदी है, लेकिन माल को जहाज पर लादने की अनुमति नहीं दी है. इसका असर केवल मसूर पर ही नहीं, बल्कि अन्य कृषि उत्पादों पर भी पड़ सकता है.

वैश्विक निर्यात पर असर

अमेरिका ने साल 2024 में भारत को 2.27 अरब डॉलर मूल्य के कृषि उत्पाद निर्यात किए थे. इसमें प्रमुख उत्पाद थे:

भारत और चीन की खरीद में कमी के कारण अमेरिकी किसानों की वैश्विक बिक्री प्रभावित हो रही है. अक्टूबर में जब अमेरिका में मक्के की कटाई शुरू होगी, तो चीन और भारत की खरीद में कमी का असर स्पष्ट हो सकता है.

अमेरिकी किसानों को हो सकता है नुकसान

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में संतुलन बनाने के लिए दोनों देशों को आगे सोच-समझकर कदम उठाने होंगे. यदि मोदी सरकार अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लागू करती है, तो इससे अमेरिकी किसानों को और नुकसान हो सकता है. वहीं, भारतीय खरीदारों को भी अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी ताकि वे आर्थिक नुकसान से बच सकें.

इस तरह अमेरिका को डबल झटका लगा है,पहले चीन ने सोयाबीन की खरीद रोकी, अब भारत ने दालों और फलियों में दूरी बना ली. दोनों घटनाएं अमेरिकी कृषि व्यापार के लिए चिंता का विषय बन गई हैं.

Published: 25 Aug, 2025 | 02:45 PM

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