केले की G-9 किस्म से बिहार के किसान कर रहे हैं बंपर कमाई, जानें खासियत
केले की अन्य किस्मों के मुकाबले जी-9 की खेती में किसानों को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है. फिर भी अन्य किस्मों के मुकाबले कम मेहनत में भी अच्छी पैदावार होती है.
बिहार के किसान केले की जी-9 (Banana G-9) किस्म की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं. इसकी जानकारी बिहार कृषि विभाग द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से दी गई. जी-9 जिसे ग्रैंड नाइन (Grand Nine) भी कहा जाता है, केले की एक उन्नत और किसानों के बीच काफी लोकप्रिय किस्म है. केले की ये किस्म व्यावसायिक खेती के लिए बेस्ट है, यही कारण है देशभर के किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं. केले की इस किस्म की खासियत है कि ये कम देखभाल में भी अन्य किस्मों के मुकाबले ज्यादा पैदावार देती है. भारत से इस किस्म की निर्यात भी किया जाता है. किसानों के लिए इसकी खेती फायदे का सौदा साबित होती है अगर किसान सही तरीके से इसकी खेती करें.
क्या है इस किस्म की खासियत
केले की इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत है कि अगर इसकी खेती सही तरीके से की जाए तो इसकी प्रति एकड़ फसल से किसान औसतन करीब 30 से 40 टन पैदावार ले सकते हैं. साथ ही इस किस्म की अच्छी ग्रोथ के लिए ड्रिप सिंचाई बेस्ट होती है. इसके फलों की लंबाई 15 से 20 सेमी तक होती है. वहीं इसके एक पौधे में कम से कम 8 से 12 केले के गुच्छे लगते हैं, जिनमें करीब 20 से 30 किलोग्राम वजन के केले लगे होते हैं. बात करें इसके पकने के समय की तो ये किस्म अपनी बुवाई के 11 से 12 महीने बाद फल देने लगती है.
जी-9 की खेती के फायदे
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केले की ये किस्म गर्म जलवायु में भी अच्छी उपज देती है, साथ ही केले की बौनी किस्म होने के कारण इसकी फसल पर रोगों के होने का खतरा काफी कम हो जाता है. केले की अन्य किस्मों के मुकाबले इसकी खेती में किसानों को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है फिर भी अन्य किस्मों के मुकाबले कम मेहनत में भी अच्छी पैदावार होती है. अपनी उन्नत क्वालिटी के कारण बाजार में इस किस्म की मांग बहुत ज्यादा है क्योंकि इसके फल सुंदर, मोटे और स्वाद में बेहद ही मीठे होते हैं. साथ ही अगर किसान का खेत ढलान पर है तो भी इस किस्म की खेती कर सकते हैं.
किसान ऐसे करें खेती
जी-9 केले की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी बेस्ट होती है. इसके बीज बुवाई से पहले खेत में 1.5 फीट गहरा और चौड़ा गड्ढा बनाएं. गड्ढों के बीच की जूरा 5 से 6 फीट की रखें. इसके पौधों की रोपाई के लिए किसान टिशू कल्चर विधि से कर सकते हैं. किसानों को ध्यान रखना होगा कि इसको उगाने के लिए खेत तैयार करते समय खेत में हर गड्ढे में 10 से 15 किलोग्राम गोबर की खाद और साथ में 200 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फॉस्फोरस और 200 किलोग्राम पोटैशियम जरूर डालें.