समय बदलने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में भी आधुनिकता का जोर है. आज के किसान खेती से अच्छी कमाई करने के लिए ऐसी तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं जिनकी मदद से उन्हें कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो. ऐसी ही एक तकनीक है मचान विधि (Scaffolding Farming). इस विधि की मदद से किसान कम जगह पर भी ज्यादा पैदावार हासिल कर सकते हैं. मुख्य रूप से इस विधि का इस्तेमाल बेल वाली सब्जियों की खेती के लिए किया जाता है. बता दें कि, इस विधि में पौधों को जमीन पर फैलाने के बजाय मजबूत ढांचे (मचान) पर चढ़ाया जाता है, जिससे वे ऊपर की ओर बढ़ते हैं. ताकि पौधों को भरपूर मात्रा में धूप और हवा मिल सके. इस विधि के इस्तेमाल से उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ पौधों में खरपतवार और कीट और रोगों का खतरा भी कम हो जाता है.
क्या है मचान विधि
मचान विधि खेती की एस ऐसी तकनीक है, जिसकी मदद से किसान अपनी खेती को स्मार्ट, टिकाऊ और फायदे का सौदा बना सकते हैं. इस विधि में लकड़ी या बांस की मदद से एक मजबूत ढ़ांचा तैयार किया जाता है. किसान चाहें तो मचान को और ज्यादा मजबूत बनाने के लिए तार या पाइप का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. इस ढांचे में बेल वाली फसलें चढ़ाई जाती हैं. मचान पर पौधों की बेल चढ़ाने से पौधों को पर्याप्त मात्रा में हवा और धूप मिलती है. पौधों का जमीन से सीधा संपर्क नहीं होता है. इस कारण से खरपतवार के साथ कीटों और रोगों के संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता है. पौधों में लगने वाले फल भी मिट्टी के संपर्क में नहीं आते, जिस कारण फलों के भी सड़ने का खतरा कम हो जाता है.
खेती के लिए ऐसे तैयार करें मचान
मचान विधि में इस्तेमाल किए जाने वाले मचान को किसान खुद तैयार कर सकते हैं. इसके लिए किसान को सबसे पहले लकड़ी, बांस या लोहे का 6 से 7 फीट ऊंचा पाइप लेना होगा. खेत में हर 6 से 8 फीट की दूरी पर एक पाइप को खंबे के रूप में लगा दें. इसके बाद सभी पाइपों को आपस में किसी मजबूत रस्सी, तार या प्लास्टिक के नेट से जोड़ दें. इसके बाद खंबों के ऊपर 5 से 6 फीट ऊंचाई तक जाल फैला दें. ये तो बात हो गई मचान विधि के लिए ढांचा तैयार करने की. अब बारी आती है इस ढांचे पर बेल चढ़ाने की. जिसके लिए पौधों की बुवाई के 2 से 3 हफ्ते बाद जब बेल निकलने लगे तब उसे ऊपर जाल पर धीरे-धीरे चढ़ा दें या बांध दें.
खेती में कैसे होता है फायदा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बेल वाले पौधों को उगाने के लिए मचान विधि को इस्तेमाल करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि पौधों में लगने वाले फल सीधे, सुंदर और एक समान होते हैं. इस विधि में पौधे जमीन के संपर्क में नहीं आते हैं. इस कारण से उनमें नमी और फंगल रोग होने का खतरा कम होता है. खुली जगह में बेलों के फैले होने के कारण दवाओं और कीटनाशकों का छिड़काव करना आसान होता है. इन सबके अलावा इस विधि की मदद से किसान कम और सीमित जगह पर भी ज्यादा पौधे लगा सकते हैं. जिनसे उन्हें अच्छी पैदावार मिल सकती है. इस तरह से किसानों को मुनाफा भी अच्छा हो सकता है.