सही पोषण और उर्वरक फसलों के अच्छे उत्पादन में अहम भूमिका निभाते हैं. आज के समय में बाजार में कई तरह के उर्वरक उपलब्ध हैं जिनके इस्तेमाल से किसान मिट्टी की क्षमता को सुधार सकते हैं और साथ ही फसलों के विकास और उत्पादन को बढाने में भी मदद करते हैं. वर्तमान में किसान खरीफ फसलों की बुवाई कर रहे हैं , ऐसे में इन फसलों के अच्छे विकास के लिए किसान कृभको के द्वारा बनाए गए उर्वरक राइजोबियम का इस्तेमाल कर सकते हैं. खासतौर पर खरीफ मूंग, उड़द और सोयाबीन की फसल पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
कैसे काम करता है राइजोबियम
राइजोबियम एक ऐसा जैविक उर्वरक है जो पौधों की जड़ों में एक छोटा सा गोलाकार ग्रंथि बनाते हैं जो कि वारावरण में मौजूद नाइट्रोजन को ही पौधे के लिए जरूर नाइट्रोजन में बदल देते हैं. इस कारण पौधों को अलग से नाइट्रोजन की जरूरत नहीं पड़ती है. साथ ही मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में भी सुधार आता है. आप चाहें तो अपने नजदीकी कृभको केंद्र से इसे खरीद सकते हैं.
ऐसे करें उर्वरक का इस्तेमाल
राइजोबियम का इस्तेमाल फसलों पर करने के लिए सबसे पहले 1 किग्रा बीज को करीब 200 ग्राम राइजोबियम में मिलाएं. इसके बाद बीज को हल्का गीला कर लें और राइजोबियम कल्चर में मिलाएं. धांव में बीजों को रखकर अच्छे से सुखा लें. बीजों के सूखने के बाद तुरंत उनकी बुवाई कर दें. इस उर्वरक की मदद से मिट्टी को सुधारने के लिए 1 हेक्टेयर खेत के लिए करीब 2 से 4 किग्रा राइजोबियम को 25 से 30 किग्रा गोबर की खाद में मिलाकर बुवाई से पहले मिट्टी में डालें.
राइजोबियम के फायदे
राइजोबियम इस्तेमाल करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसको इस्तेमाल करने के बाद पौधों को नाइट्रोजन देने के लिए किसानों को खर्चा नहीं करना पड़ेगा. इसके साथ ही किसानों की लागत में भी कमी आती है और वे केमिकल उर्वरकों पर कम निर्भर रहते हैं. पौधों पर इसका इस्तेमाल करने से पौधे ज्यादा हरे – भरे और स्वस्थ होते हैं. साथ ही ये उर्वरक पूरी तरह जैविक है जो कि इसे वातावरण के भी अनुकूल बनाता है. बता दें कि खरीफ सीजन में राइजोबियम का इस्तेमाल मुख्य रूप से खरीफ मूंग, उड़द और सोयाबीन की फसल पर किया जाता है.