मूली की फसल को बर्बाद करते हैं ये खतरनाक कीट, किसान जान लें बचाव के तरीके

पत्ती माइनर एक ऐसी कीट है जो पत्तियों के अंदर अंडे देते हैं. अंडे फूटने के बाद लार्वा पत्तियों के ऊपरी सतह पर सुरंग बना देते हैं, जिसके कारण पत्तियों में सफेद घुमावदार धब्बे पड़ने लगते हैं. अगर इन कीटों का प्रभाव बहुत ज्यादा है तो पत्तियां झड़ने लगती हैं.

नोएडा | Published: 19 Jun, 2025 | 12:11 PM

किसी भी फसल के बेहतर उत्पादन के लिए बेहद जरूरी है कि उसकी सही से देखभाल की जाए. कई बार सहा देखभाल न हो पाने के कारण फसल में कीटों का आक्रमण हो जाता है. ऐसा ही कुछ मूली की फसल के साथ भी होता है. मूली की फसल में कई तरह के कीट लग जाते हैं जो पत्तों , जड़ों और तनों को नुकसान पहुंचाकर फसल को बर्बाद कर देते हैं. इससे न केवल मूली की फसल बर्बाद होती है बल्कि किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है.

मूली में लगने वाले खतरनाक कीट

पत्ती माइनर (Leaf Miner)

पत्ती माइनर एक ऐसी कीट है जो पत्तियों के अंदर अंडे देते हैं.अंडे फूटने के बाद लार्वा पत्तियों के ऊपरी सतह पर सुरंग बना देते हैं , जिसके कारण पत्तियों में सफेद घुमावदार धब्बे पड़ने लगते हैं. अगर इन कीटों का प्रभाव बहुत ज्यादा है तो पत्तियां झड़ने लगती हैं. मूली की फसल को इस कीट से बचाने के लिए सबसे पहले पौधों के प्रभावित हिस्से को हटाकर अलग कर दें. किसान इन कीटों को रोकने के लिए फसल पर नीम के तेल या अर्क का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

मूलक मक्खी (Root Maggot)

इस कीट के आक्रमण से पौधों की जड़ों और पत्तियों में सुरंग बन जाती है, जिससे पौधे मुरझाने लगते हैं और पत्तियां पीली पड़ने लगती है और साथ ही पौधों की ग्रोथ रुक जाती है. देखने में ये कीट घर में उड़ने वाली मक्खी जितने छोटे और गहरे भूरे रंग के होते हैं. इस कीट से मूली की फसल के बचाने के लिए पौधों के तने के पास पेपर से घेरे बनाएं ताकि ये अपने अंडे न दे पाएं. किसान खेतों में स्टिकी येलो ट्राप लगा सकते हैं , ये ट्रैप इन कीटों को अपना ओर आकर्षित करते हैं.

पत्ती खाने वाली इल्ली

ये कीट फसलों में आमतौर पर लगने वाले कीटों में से एक है जो कि पत्तियों को चबाकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं. देखने में ये कीट नरम, मोड़दार और हरे या भूरे रंग के होते हैं. इनके आक्रमण से पत्तियों के किनारे कट जाते हैं. मूली की फसल को इस कीट से बचाने के लिए फसल पर जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें. इसके साथ ही समय-समय पर खेतों की नियमित रूप से सफाई करते रहें और खरपतवारों को भी नियंत्रित रखें.