अमेरिका में भी छाया बिहार के मखाने का स्वाद, अब किसानों को मिलेगा जबरदस्त फायदा

2012 में बिहार में मखाना की खेती लगभग 13,000 हेक्टेयर में होती थी. लेकिन मुख्यमंत्री के बागवानी मिशन और मखाना विकास योजना की मदद से यह क्षेत्र बढ़कर 35,224 हेक्टेयर तक पहुंच गया है. साथ ही, मखाना की पैदावार भी लगभग दोगुनी हो गई है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 19 Jun, 2025 | 07:56 AM

बिहार में मखाना यानी फॉक्स नट की खेती ने पिछले दस सालों में जो तरक्की की है, वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है. पहले जहां मखाना की खेती थोड़े-से इलाकों तक सीमित थी, वहीं अब यह पूरे राज्य में फैल चुकी है. इस सफलता के पीछे बिहार सरकार की लगातार मेहनत और किसानों का जोश है. खास बात ये है कि सुधा कंपनी ने मखाना को अमेरिका तक पहुंचा कर बिहार के इस खास उपज को दुनिया के सामने एक नई पहचान दी है.

मखाना की खेती में बड़ा बदलाव

2012 में बिहार में मखाना की खेती लगभग 13,000 हेक्टेयर में होती थी. लेकिन मुख्यमंत्री के बागवानी मिशन और मखाना विकास योजना की मदद से यह क्षेत्र बढ़कर 35,224 हेक्टेयर तक पहुंच गया है. साथ ही, मखाना की पैदावार भी लगभग दोगुनी हो गई है. पहले जहां किसान 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मखाना उगाते थे, अब यह बढ़कर 28 क्विंटल हो गया है. इसका बड़ा कारण है बेहतर बीज और खेती के आधुनिक तरीके.

आज बिहार में करीब 25,000 किसान मखाना की खेती से जुड़कर अपनी जिंदगी संवार रहे हैं. यह खेती न सिर्फ उनकी आमदनी बढ़ा रही है, बल्कि पूरे इलाके की तस्वीर भी बदल रही है.

मखाना को मिली खास पहचान

सरकार ने बिहार के मखाना को “मिथिला मखाना” के नाम से जीआई टैग दिलवाया है. इसका मतलब है कि यह मखाना सिर्फ बिहार के मिथिला क्षेत्र का है और इसकी गुणवत्ता दुनिया में अलग है. इससे मखाना की मांग बढ़ी है और किसान भी खुश हैं.

किसानों के लिए सहूलियतें और योजनाएं

2019-20 में शुरू हुई मखाना विकास योजना ने किसानों को कई तरह के फायदे दिए हैं. जैसे बेहतर किस्मों के बीज देना, गोदाम बनाने के लिए मदद, और मखाना महोत्सव जैसे आयोजन कर लोगों को इस उपज के बारे में जागरूक करना. इससे किसानों को खेती में आसानी हुई और मखाना की खेती फैल पाई.

मखाना की खेती वाले जिले

मखाना मुख्य रूप से दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा और खगड़िया जिलों में उगाया जाता था. अब यह 16 जिलों तक फैल चुका है. बिहार देश के कुल मखाना उत्पादन का लगभग 85 फीसदी हिस्सा देता है.

मखाना से बढ़ी आमदनी, बढ़े सपने

मछली पालन और मखाना जल पट्टे से होने वाली आमदनी भी चार गुना से ज्यादा बढ़ गई है. 2005 में यह 3.83 करोड़ रुपये थी, जो अब बढ़कर 17.52 करोड़ रुपये हो गई है. बिहार सरकार अब मखाना बोर्ड बनाने की तैयारी कर रही है, जो मखाना की खेती, प्रसंस्करण, मार्केटिंग और निर्यात को और बेहतर बनाएगा.

मखाना से सेहतमंद और स्वादिष्ट

मखाना सिर्फ किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है. यह कम कैलोरी वाला, प्रोटीन और मिनरल्स से भरपूर स्नैक है. वजन कम करने वाले और मधुमेह के मरीजों के लिए यह एक बेहतरीन विकल्प है.

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