इलेक्ट्रिक या डीजल ट्रैक्टर: किसान के लिए कौन है सबसे भरोसेमंद साथी?

यह सवाल सिर्फ कीमत तक सीमित नहीं है. इसमें रखरखाव, ईंधन की उपलब्धता, पर्यावरणीय असर और लंबे समय तक काम करने की क्षमता भी जुड़ी है. आइए जानते हैं दोनों प्रकार के ट्रैक्टर की खूबियों और कमियों को, ताकि किसान अपने खेत और जरूरत के हिसाब से सही चुनाव कर सकें.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 25 Oct, 2025 | 08:47 AM

Tractor comparison: भारत एक कृषि प्रधान देश है, और यहां की हरियाली और मेहनत से भरे खेतों में ट्रैक्टर किसान का सबसे भरोसेमंद साथी माना जाता है. यह मशीन सिर्फ मिट्टी जोतने का औजार नहीं, बल्कि किसान की जिंदगी की रफ्तार और मेहनत को आसान बनाने वाला हाथ है. लेकिन आज जब तकनीक दिन-प्रतिदिन बदल रही है, किसान खुद से एक अहम सवाल पूछ रहे हैं कौन सा ट्रैक्टर बेहतर है, इलेक्ट्रिक या डीजल?”

यह सवाल सिर्फ कीमत तक सीमित नहीं है. इसमें रखरखाव, ईंधन की उपलब्धता, पर्यावरणीय असर और लंबे समय तक काम करने की क्षमता भी जुड़ी है. आइए जानते हैं दोनों प्रकार के ट्रैक्टर की खूबियों और कमियों को, ताकि किसान अपने खेत और जरूरत के हिसाब से सही चुनाव कर सकें.

इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर: शांत, स्वच्छ और पर्यावरण के दोस्त

इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर अब धीरे-धीरे किसानों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये बेहद शांत हैं और चलने के दौरान कोई धुआं नहीं छोड़ते, जिससे ध्वनि और वायु प्रदूषण दोनों कम होते हैं. यह न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि किसानों और खेत में काम करने वाले मजदूरों के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है.

इसके अलावा, इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर का रखरखाव आसान और कम खर्चीला है. इसमें डीजल इंजन जैसी जटिल मशीनरी नहीं होती, जिससे तेल बदलने और फिल्टर साफ करने का खर्च नहीं आता. चार्जिंग की लागत भी डीजल की तुलना में कम होती है, जिससे लंबे समय में पैसे की बचत होती है.

लेकिन चुनौतियां भी हैं. इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर की शुरुआती कीमत अभी भी अधिक है और इसे बार-बार चार्ज करना पड़ता है. एक बार चार्ज करने पर यह कुछ ही घंटों तक काम कर सकता है, इसलिए बड़े खेतों या लंबे समय तक काम के लिए फिलहाल ये सीमित हैं. साथ ही, हर गांव में चार्जिंग सुविधा नहीं है, जो इनके उपयोग में एक बड़ी बाधा बन सकती है.

डीजल ट्रैक्टर: ताकतवर और भरोसेमंद

आज भी अधिकांश किसान का भरोसेमंद साथी डीजल ट्रैक्टर है. इसमें अधिक हॉर्सपावर होती है, जिससे भारी काम जैसे गहरी जुताई, ट्रॉली खींचना या कटाई आसानी से किया जा सकता है. डीजल ट्रैक्टर में बार-बार चार्जिंग की जरूरत नहीं पड़ती, बस ईंधन भरते रहिए और काम चलता रहेगा.

डीजल और सर्विसिंग की सुविधा लगभग हर जगह उपलब्ध है, इसलिए किसान को किसी विशेष तकनीक या चार्जिंग पॉइंट की चिंता नहीं करनी पड़ती.

हालांकि, इसकी कुछ कमियां भी हैं. डीजल ट्रैक्टर शोर करता है और इससे निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण का बड़ा कारण बनता है. इसके इंजन की देखभाल और रखरखाव में भी खर्च आता है, जैसे तेल बदलना, फिल्टर बदलना और समय-समय पर सर्विस करवाना.

सही ट्रैक्टर का चुनाव

अगर आपका खेत छोटा है, आप पर्यावरण की चिंता करते हैं और आपके पास बिजली या सोलर चार्जिंग की सुविधा है, तो इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर आपके लिए सबसे उपयुक्त रहेगा. यह खर्च कम करता है और प्रदूषण को भी कम करता है.

वहीं, अगर आपकी खेती बड़ी है, काम अधिक है और लंबे समय तक भारी कार्य करना पड़ता है, तो डीजल ट्रैक्टर अभी भी सबसे भरोसेमंद विकल्प है. इसकी ताकत, ईंधन की उपलब्धता और सर्विसिंग की सुविधा इसे किसानों की पहली पसंद बनाती है.

किसान चाहे किसी भी विकल्प का चुनाव करें, सबसे जरूरी है कि ट्रैक्टर उनके खेत, जरूरत और बजट के हिसाब से हो. सही ट्रैक्टर न केवल काम को आसान बनाता है, बल्कि खेती की दुनिया में एक मजबूत साथी भी साबित होता है.

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