पूर्वांचल ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में मत्स्य पालन तेजी से एक बड़े व्यवसाय के रूप में उभर रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है- इसमें लागत बेहद कम आती है और मुनाफा अच्छा होता है. यही कारण है कि गांव-गांव में जिनके पास तालाब या पोखरी है, वे लोग इसे अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे हैं. सरकार भी मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग योजनाओं के तहत अनुदान देती है. ऐसे में जो लोग इस व्यवसाय से जुड़ना चाहते हैं, उनके सामने सबसे बड़ा सवाल होता है कि कौन सी मछली की वैरायटी ज्यादा फायदेमंद साबित होगी.
रोहू और भाकुर से मिलेगा कम समय में अच्छा मुनाफा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर कोई किसान या व्यवसायी कम समय में अच्छा मुनाफा पाना चाहता है तो उसे रोहू और भाकुर की मछलियों का पालन करना चाहिए. इन दोनों मछलियों की खासियत यह है कि इन्हें पालने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती और इनका वजन तेजी से बढ़ता है. यही वजह है कि बाजार में इनकी मांग हमेशा बनी रहती है. चाहे शादी- ब्याह का अवसर हो, भोज का आयोजन हो या फिर होटल और रेस्टोरेंट्स की खरीदारी, हर जगह रोहू और भाकुर की खपत सबसे ज्यादा है. इस वजह से इनके पालन में समय और लागत दोनों ही कम लगते हैं और मुनाफा जल्दी मिल जाता है.
लंबे समय में सिल्वर और ग्रास कार्प हैं बेहतर विकल्प
जो लोग लंबे समय तक मछलियों का पालन करके स्थायी कमाई करना चाहते हैं, उनके लिए सिल्वर और ग्रास कार्प एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती हैं. इन मछलियों की बाजार में कीमत 180 रुपये से 250 रुपये प्रति किलो तक रहती है और इनकी मांग स्थिर बनी रहती है. हालांकि रोहू और भाकुर की तरह इनकी खपत उतनी नहीं होती, लेकिन पालन आसान होता है और नुकसान की संभावना बेहद कम रहती है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर तालाब में मिश्रित पालन किया जाए यानी रोहू, भाकुर, सिल्वर और ग्रास सभी को एक साथ पाला जाए, तो किसान पूरे साल अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
योजनाओं से आसान होगा मत्स्य पालन
सरकार लगातार मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है. तालाब खुदवाने से लेकर जाल, दवाइयों और चारे तक पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है. इसके अलावा समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किए जाते हैं, ताकि नए मत्स्य पालक आधुनिक तकनीक सीखकर अपने व्यवसाय को बेहतर बना सकें. यही वजह है कि पूर्वांचल के कई जिलों में आज मत्स्य पालन बड़े स्तर पर किया जा रहा है और कई युवा भी इसे अपना कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. सरकारी योजनाओं का सहारा मिलने से लागत कम आती है और किसान अधिक लाभ कमा पाते हैं.
क्यों है मछली पालन सुरक्षित और फायदेमंद
विशेषज्ञों का कहना है कि मछली पालन अन्य व्यवसायों की तुलना में कहीं ज्यादा सुरक्षित है. इसमें नुकसान का जोखिम बहुत कम होता है क्योंकि मछलियों की मांग पूरे साल बनी रहती है. एक बार तालाब तैयार होने और सही तरीके से मछलियों को पालने पर यह व्यवसाय लगातार आय का साधन बन जाता है. खास बात यह है कि इसमें ज्यादा मेहनत की भी जरूरत नहीं होती और एक ही तालाब से साल-दर-साल अच्छी कमाई की जा सकती है. यही कारण है कि मछली पालन अब न सिर्फ किसानों बल्कि बेरोजगार युवाओं के लिए भी रोजगार और आय का बेहतरीन जरिया बन गया है.
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