हरियाणा में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की टीम अवैध खाद कारोबारियों (Illegal Fertilizer Traders) के खिलाफ लगातार छापेमारी कर रही है. इसी कड़ी में विभाग ने यमुनानगर जिले में सब्सिडी वाले कृषि ग्रेड यूरिया के अवैध कारोबार पर सख्त कार्रवाई की है. विभाग की टीम ने एक गांव में स्थित गैर-कानूनी गोदाम से 450 बोरी सब्सिडी वाला कृषि ग्रेड यूरिया बरामद किया है. खास बात यह है कि पिछले दो महीनों में यह दूसरा बड़ा एक्शन है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, विभाग ने पुलिस को एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की है और सभी यूरिया की बोरियों को जब्त कर गोदाम को सील कर दिया है. इससे पहले मई 2025 के पहले हफ्ते में, ताजकपुर गांव के एक अवैध गोदाम से 2,461 बोरी सब्सिडी वाला यूरिया बरामद किया गया था. उस समय भी यूरिया को जब्त कर गोदाम को सील किया गया था. जानकारी के मुताबिक, 5 जुलाई को पुलिस से सूचना मिलने पर कृषि विभाग की टीम ने कनालसी और बिबीपुर गांव के पास स्थित एक अवैध गोदाम में छापेमारी की, जहां यह यूरिया जमा किया गया था.
अवैध तरीके से यमुनानगर जिले में लाया गया यूरिया
सूचना मिलने के बाद कृषि विभाग की टीम, एसडीओ अजय कुमार के नेतृत्व में मौके पर पहुंची. जांच के दौरान गोदाम में सब्सिडी वाला कृषि ग्रेड यूरिया मिला. गिनती करने पर वहां कुल 450 बोरी यूरिया पाई गईं. यमुनानगर के कृषि उपनिदेशक डॉ. आदित्य प्रताप डाबास ने कहा कि सभी 450 बोरी यूरिया जब्त कर ली गई हैं और अवैध गोदाम को सील कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि यह यूरिया अवैध तरीके से यमुनानगर जिले में लाया गया था और बिना अनुमति के गोदाम में जमा किया गया था.
यूरिया का इस्तेमाल गोंद बनाने में होता है
डॉ. आदित्य प्रताप डाबास ने कहा कि यमुनानगर जिले में सब्सिडी वाले कृषि ग्रेड यूरिया की अवैध बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. इसलिए अब यूरिया माफिया दूसरे इलाकों से यूरिया लाकर यहां की इंडस्ट्री में सप्लाई करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन हम उनकी इन गैर-कानूनी गतिविधियों को सफल नहीं होने देंगे. आरोप है कि कई प्लाईवुड फैक्ट्री मालिक इस सस्ते कृषि ग्रेड यूरिया का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. वे इसे गोंद (एडहेसिव) बनाने में इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका उपयोग प्लाईवुड बनाने में होता है.
तकनीकी ग्रेड यूरिया की कीमत
गौरतलब है कि सब्सिडी वाला कृषि ग्रेड यूरिया (45 किलो की एक बोरी) सिर्फ 266.50 रुपये में मिलता है, जबकि तकनीकी ग्रेड यूरिया (50 किलो की बोरी) की कीमत 2200 रुपये से 2400 रुपये तक होती है. इसी भारी कीमत के अंतर की वजह से कुछ फैक्ट्रियां सस्ते यूरिया का गलत इस्तेमाल कर रही हैं.