चीनी की टाइट सप्लाई ने बढ़ाई टेंशन, क्या इस बार फीकी रहेगी दिवाली?

सरकार और उद्योग दोनों की नजरें अब पूरी तरह मानसून पर टिकी हैं. अगर बारिश सही रही और गन्ने की फसल को नुकसान नहीं हुआ, तो आयात की जरूरत नहीं पड़ेगी. लेकिन अगर बारिश ने खेल बिगाड़ा, तो देश को चीनी आयात करने की नौबत भी आ सकती है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 4 Jul, 2025 | 08:38 AM

जैसे-जैसे देश में रक्षाबंधन, गणेश चतुर्थी, दशहरा और दिवाली जैसे बड़े त्योहार पास आ रहे हैं, चीनी की मांग तेजी से बढ़ने लगी है. लेकिन इस बार चीनी मिलें और सरकार दोनों ही परेशान हैं, क्योंकि चीनी की आपूर्ति सीमित होती जा रही है. ऐसे में सबकी नजरें अक्टूबर में शुरू होने वाली अगली पेराई सीजन पर टिकी हैं. उम्मीद की जा रही है कि यदि पेराई जल्दी शुरू हो गई, तो त्योहारों की मिठास बरकरार रह सकेगी.

त्योहारी मांग के मुकाबले कम स्टॉक

इस साल अगस्त से नवंबर के बीच बाजार में लगभग 9 मिलियन टन (MT) चीनी उपलब्ध रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 9.3 मिलियन टन था. अब हालात इतने कसे हुए हैं कि अगर सप्लाई में जरा सी भी देरी हुई, तो बाजार में चीनी की कमी महसूस हो सकती है.

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 के सीजन से सरकार के पास जो 8 मिलियन टन का कैरी फॉरवर्ड स्टॉक था, वो अब घटकर 4.7 मिलियन टन तक पहुंचने की आशंका है. ऐसे में सरकार चाहती है कि अक्टूबर-नवंबर 2025 के शुरुआती दो महीनों में मिलें 3 से 3.5 मिलियन टन चीनी तैयार करें. हालांकि पिछले साल इसी समय सिर्फ 2.79 मिलियन टन चीनी ही बन पाई थी.

मानसून की चाल तय करेगा आयात या नहीं?

सरकार और उद्योग दोनों की नजरें अब पूरी तरह मानसून पर टिकी हैं. अगर बारिश सही रही और गन्ने की फसल को नुकसान नहीं हुआ, तो आयात की जरूरत नहीं पड़ेगी. लेकिन अगर बारिश ने खेल बिगाड़ा, तो देश को चीनी आयात करने की नौबत भी आ सकती है.

मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 1 जून से 3 जुलाई तक सामान्य से 57 फीसदी अधिक बारिश हुई है, जबकि पूर्वी यूपी में यह आंकड़ा 3 फीसदी नीचे है. महाराष्ट्र के भी हालात मिश्रित हैं, मध्यम महाराष्ट्र में 36 फीसदी अधिक बारिश हुई है, लेकिन मराठवाड़ा में 37 फीसदी की भारी कमी और विदर्भ में 3 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.

यूपी और महाराष्ट्र-सबसे बड़े गन्ना उत्पादक

उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र देश के दो सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य हैं. लेकिन यहां बारिश का असमान बंटवारा परेशानी बढ़ा सकता है. मेरठ में जहां 109 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है, वहीं बगल के शामली में 46 फीसदी कम. इसी तरह, खीरी और सीतापुर, गोंडा और बलरामपुर, पीलीभीत और बरेली जैसे जिलों में भी बारिश का पैटर्न अलग-अलग है. इससे गन्ने की फसल पर असर पड़ सकता है.

बीमारियों का खतरा, किसान रहें सतर्क

कृषि वैज्ञानिकों ने यूपी के किसानों को ‘रेड रॉट’ (लाल सड़न) नामक बीमारी को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी है. ज्यादा पानी भराव की स्थिति में यह बीमारी फसल को नुकसान पहुंचा सकती है. हालांकि सितंबर के आसपास अधिक बारिश फसल को कोई विशेष खतरा नहीं पहुंचाएगी, ऐसा वैज्ञानिकों का मानना है.

बाजार में सुस्ती, लेकिन त्योहारों से है उम्मीद

गौरतलब है कि जून महीने में चीनी की बिक्री 2.2 मिलियन टन के लक्ष्य से लगभग 0.1 मिलियन टन कम रही. इसका कारण शुरुआती मानसून और अपेक्षाकृत ठंडा मौसम रहा. मई में भी बिक्री पिछली बार से कम रही. अब मिलें त्योहारों में मांग के उछाल की राह देख रही हैं.

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