अगले साल चीनी उत्पादन में 15 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद, 350 लाख टन पहुंच जाएगा आंकड़ा

शुगर सीजन 2026 में भारत का चीनी उत्पादन 15 फीसदी बढ़कर 350 लाख टन हो सकता है, जिससे एथेनॉल डायवर्जन और निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है. हालांकि गन्ने की बढ़ती लागत और स्थिर एथेनॉल कीमतों के चलते मुनाफे में सीमित सुधार होगा.

Kisan India
नोएडा | Published: 28 Jun, 2025 | 01:53 PM

अगले साल देश में बंपर चीनी उत्पादन होगा. फसल सीजन 2025- 2026 में भारत का कुल चीनी उत्पादन करीब 15 फीसदी बढ़कर 350 लाख टन तक पहुंच सकता है. इसकी बड़ी वजह अच्छा मॉनसून है, जिससे महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्यों में खेती का रकबा और पैदावार दोनों बढ़ने की उम्मीद है. इस बढ़त से देश में चीनी की आपूर्ति बेहतर होगी. साथ ही एथेनॉल उत्पादन के लिए अधिक गन्ना डायवर्जन तथा निर्यात को फिर से शुरू करने का रास्ता भी खुल सकता है, बशर्ते नीतिगत सहयोग मिले.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, 2026 में बेहतर उत्पादन और एथेनॉल में अधिक डायवर्जन की संभावना से चीनी मिलों का मार्जिन बढ़कर लगभग 9 से 9.5 फीसदी तक पहुंच सकता है. इससे उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत होगी, जो पिछले साल कुछ दबाव में थी. यह विश्लेषण Crisil ने 54 चीनी मिलों (कुल 70,000 करोड़ रुपये के रेवेन्यू) के आधार पर किया है. पिछले दो सीजन में गन्ने का एफआरपी 11 फीसदी बढ़ा है, लेकिन एथेनॉल की कीमतें लगभग स्थिर बनी हुई हैं. इससे चीनी मिलों की कमाई और लागत के बीच संतुलन बिगड़ा है.

चीनी डायवर्जन बढ़कर लगभग 40 लाख टन

शुगर सीजन (SS) 2026 में एथेनॉल के लिए चीनी डायवर्जन बढ़कर लगभग 40 लाख टन हो सकता है. इसका कारण है चीनी उत्पादन में बढ़त और सरकार का 20 फीसदी एथेनॉल ब्लेंडिंग टारगेट है. एथेनॉल से मिलों को जल्दी कैश फ्लो मिलता है, लेकिन मौजूदा कीमतों के चलते मुनाफा सीमित ही रह सकता है. Crisil Ratings के सीनियर डायरेक्टर अनुज सेठी न कहा कि एथेनॉल में डायवर्जन का मकसद था चीनी मिलों की कमाई और कैश फ्लो को सुरक्षित करना. लेकिन गन्ने की बढ़ती लागत और एथेनॉल की स्थिर कीमतों की वजह से मुनाफे में ज्यादा सुधार नहीं हो पा रहा है. सलिए, भले ही चीनी उत्पादन 15 फीसदी बढ़े, फिर भी एकीकृत मिलों का ऑपरेटिंग मार्जिन सिर्फ 40-60 बेसिस पॉइंट बढ़कर 9 से 9.5 फीसदी तक ही पहुंच सकता है.

कितनी है चीनी की घरेलू कीमतें

वहीं, जो मिलें डिस्टिलरी या को-जनरेशन से कमाई नहीं करतीं वे मार्जिन दबाव में बनी रह सकती हैं. फिलहाल घरेलू चीनी की कीमतें 35 से रुपये 38 प्रति किलो पर स्थिर बनी हुई हैं. उत्पादन बढ़ने से कीमतों में ज्यादा इजाफा नहीं होगा, जिससे मिलों के मुनाफे पर असर पड़ेगा. 2025 में घरेलू सप्लाई की चिंता के कारण चीनी निर्यात 10 लाख टन तक सीमित रखा गया था, लेकिन 2026 में ज्यादा उत्पादन और दो महीने की शुरुआती स्टॉक की वजह से यह स्तर आराम से बनाए रखा जा सकता है.

 

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