कहीं आप नकली खाद तो नहीं खरीद रहे? ऐसे करें पहचान

बाजार में इन दिनों नकली खाद भी बेची जा रही है, जो न केवल फसलों को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि इससे मिट्टी की उर्वरता भी कम होती है.

Published: 24 Feb, 2025 | 08:53 AM

खेती में बेहतर उत्पादन के लिए खाद का सही चुनाव करना बेहद जरूरी है. लेकिन बाजार में इन दिनों नकली खाद भी बेची जा रही है, जो न केवल फसलों को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि इससे मिट्टी की उर्वरता भी कम होती है. इसलिए किसानों को किसी भी खाद का इस्तेमाल करने से पहले, असली और नकली खाद की पहचान करना आवश्यक है. आज हम आपको कुछ महत्वपूर्ण उर्वरकों की असली पहचान करने के आसान तरीकों के बारे में बताएंगे.

डी.ए.पी. की पहचान

डी.ए.पी. की पहचान करने के लिए, कुछ दाने हाथ में लें और उसमें चूना मिलाकर तम्बाकू की तरह मलें. अगर इससे तेज गंध निकले, जिसे सूंघना मुश्किल हो, तो यह असली डी.ए.पी. है. जांच का दूसरा तरीका यह है कि कुछ दाने धीमी आंच पर तवे पर गर्म करें. यदि वे फूल जाएं, तो यह असली डी.ए.पी. है. इसके अलावा, असली डी.ए.पी. के दाने कठोर होते हैं और इनका रंग भूरा, काला या बादामी होता है. इसे नाखून से आसानी से नहीं तोड़ा जा सकता.

यूरिया की पहचान

यूरिया के दाने सफेद, चमकदार और लगभग एक ही आकार के होते हैं. यह पूरी तरह पानी में घुल जाता है, और घोल को छूने पर ठंडक महसूस होती है. तवे पर गर्म करने पर यूरिया पिघल जाता है और तेज आंच पर पूरी तरह जलकर कोई अवशेष नहीं छोड़ता. अगर ऐसा हो, तो यह असली यूरिया है.

सुपर फास्फेट की पहचान

सुपर फास्फेट के दाने सख्त होते हैं और इनका रंग भूरा, काला या बादामी होता है. इसे तवे पर गर्म करने पर इसके दाने नहीं फूलते, जबकि डी.ए.पी. और अन्य कॉम्प्लेक्स उर्वरक गर्म करने पर फूल जाते हैं. अगर सुपर फास्फेट को नाखून से तोड़ना मुश्किल हो, तो यह असली होता है. इसमें मिलावट अक्सर डी.ए.पी. और एन.पी.के. मिक्सचर उर्वरकों के साथ की जाती है.

पोटाश की पहचान

पोटाश सफेद, कठोर और चमकदार क्रिस्टल की तरह होता है. इसका मिश्रण दिखने में नमक और लाल मिर्च जैसा लगता है. इसकी शुद्धता जांचने के लिए पोटाश के कुछ दाने पानी में डालें. अगर ये आपस में नहीं चिपकते, तो यह असली पोटाश है. पानी में घुलने पर इसका लाल भाग पानी की सतह पर तैरता रहता है.

जिंक सल्फेट की पहचान

इसके दाने हल्के सफेद, पीले या भूरे रंग के छोटे-छोटे कणों जैसे होते हैं. आमतौर पर जिंक सल्फेट में मैग्नीशियम सल्फेट मिलाया जाता है, जिससे असली और नकली में फर्क करना मुश्किल हो जाता है. अगर डी.ए.पी. के घोल में जिंक सल्फेट मिलाया जाए, तो गाढ़े थक्कों जैसा अवशेष बनता है, लेकिन मैग्नीशियम सल्फेट डालने पर ऐसा नहीं होता.

जिंक सल्फेट के घोल में हल्का कास्टिक घोल डालने पर सफेद मटमैला अवशेष बनता है. अगर इसमें ज्यादा गाढ़ा कास्टिक घोल डालें, तो यह अवशेष पूरी तरह घुल जाता है. लेकिन अगर जिंक सल्फेट की जगह मैग्नीशियम सल्फेट हो, तो यह अवशेष नहीं घुलता.

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