नैचुरल फार्मिंग नाम से ही साफ है कि खेती करने का यह तरीका पूरी तरह से प्राकृतिक है. यह खेती करने की एक ऐसी पद्धति है जिसमें केमिकल फ्री खाद और उर्वरकों का प्रयोग होता है. साथ ही पर्यावरण के अनुकूल खेती करने के इस तरीके में फसलों को उगाने के लिए बायो-डायवर्सिटी यानी जैव विविधिता को प्राथमिकता दी जाती है. नैचुरल फार्मिंग मिट्टी की उर्वरता में सुधार, पानी के उपयोग को कम करने और खेती के पारिस्थितिक प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती है. अब खेती के इस तरीके से गुजरात के भावनगर में किसानों की जिंदगी बदल रही है.
क्यों हैं प्राकृतिक खेती फायदेमंद
अच्छी आय के लिए लोग कई तरीके अपना रहे हैं और प्राकृतिक खेती भावनगर के किसान कालूराम चौधरी के लिए वही तरीका बन गया है. बतौर किसान नई-नई तकनीक का प्रयोग करके आज वह मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. साथ ही पारंपरिक खेती के अलावा अलग-अलग तरीके की फसलें उगाकर अमीर भी बन रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार प्राकृतिक खेती किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प है क्योंकि इसमें लागत कम लगती है और मुनाफा भी अच्छा खासा होता है.
प्राकृतिक खेती में लगा किसान
भावनगर में किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इसके साथ ही मूंगफली और सोयाबीन जैसी फसलों से भी अच्छी खासी कमाई की जा सकती है. भावनगर के रत्नपुरा के रहने वाले किसान कालूभाई चौधरी प्राथमिक शिक्षा के बाद से ही खेती में लगे हैं और इन दिनों प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपना रहे हैं. प्राकृतिक खेती के जरिये वह सहजन, टमाटर और करेला जैसी फसलें उगाते हैं. इसमें सहजन को मुख्य फसल के तौर पर उगाया जा रहा है.
सहजन से कमाए लाखों रुपये
कालू भाई चौधरी सहजन के साथ अंतरफसल करके करेला लगाते थे. यह फसल करीब आधा बीघा में उगाई जाती थी और तुरंत 15 से 20 हजार रुपए की पैदावार हो जाती थी. उन्होंने इंश्योर्ड एक से डेढ़ एकड़ जमीन में सहजन से करीब सवा लाख रुपए कमाकर अपना आर्थिक बजट भी दुरुस्त कर लिया.
उनकी मानें तो उनके यहां ज्यादातर बीघा जमीन पर प्राकृतिक खेती की जाती है. इसके लिए जैविक खाद, जीवामृत और बीजामृत जैसी प्राकृतिक खादों का इस्तेमाल किया जाता है. फिर किसी बीमारी या कीट के हमले की स्थिति में खट्टी छाछ, दूध गुड़, गोमूत्र आदि का भी छिड़काव फसल पर किया जाता है.
टमाटर से अच्छी-खासी कमाई
कालूभाई चौधरी ने टमाटर की खेती से भी काफी पैसा कमाया है. एक से डेढ़ बीघा में टमाटर की खेती से उसने करीब 40 हजार रुपये कमाए हैं. अब वह धीरे-धीरे अलग-अलग फसलें उगाकर अपनी उत्पादकता बढ़ा रहे हैं. पहले कालूराम छोटे से क्षेत्र में ही प्राकृतिक खेती करते थे, लेकिन समय के साथ अब वे सात बीघा से ज्यादा जमीन पर प्राकृतिक खेती करके अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं.