कम लागत में ज्यादा कमाई का फॉर्मूला, जानिए अमरूद की खेती कैसे बनेगी आपकी आमदनी का जरिया

'गरीबों का सेब' कहे जाने वाले फल अमरूद से किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ हेल्थ के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है. अगर किसान सही तकनीक और थोड़ी समझदारी से खेती करें, तो साल भर में दो से तीन बार तक अच्छी आमदनी ले सकते हैं.

नोएडा | Updated On: 5 Dec, 2025 | 10:01 PM

Guava Farming Success Tips: अमरूद एक ऐसी फसल है जो बहुत कम लागत में किसानों को अच्छा मुनाफा देती है. अमरूद को ‘गरीबों का सेब’ कहा जाता है, क्योंकि यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ हेल्थ के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है. अगर किसान सही तकनीक और थोड़ी समझदारी से खेती करें, तो साल भर में दो-तीन बार तक अच्छी आमदनी ले सकते हैं.

अमरूद पोषक तत्वों से भरपूर फल है, जिसमें विटामिन-C भरपूर मात्रा में पाया जाता है. अमरूद की खेती को कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल के रूप में माना जाता है. अगर सही तरीके से इसकी बागवानी की जाए तो साल में दो-तीन बार अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

अमरूद की बागवानी के लिए गर्म और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है. इसकी खेती के लिए हल्की दोमट या बलुई मिट्टी उपयुक्त मानी जाती हैं, जिसमें पानी का निकास अच्छा हो. मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए.

कब करें पौधे की रोपाई

अमरूद के पौधे लगाने का सही समय जुलाई से सितंबर या फरवरी से मार्च का महीना है. मॉनसून के दौरान लगाए गए पौधे जल्दी से वृद्धि करते हैं. पौधे के बीच की दूरी 6×6 मीटर या 5×5 मीटर रखनी चाहिए, ताकि हर पौधे को पर्याप्त धूप और हवा मिल सके. इससे पौधों का विकास अच्छे से होता है और उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है.

जरूरत के हिसाब से करें सिंचाई

अमरूद के पौधों को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती. शुरुआती दो सालों तक 10-12 दिन के बाद सिंचाई करना जरूरी है. फल आने के समय हल्की सिंचाई फायदेमंद रहती है, लेकिन ध्यान रहे की खेत में जलभराव ना हो, वरना जड़ों के सड़ने की समस्या हो सकती है.

कितनी मात्रा में डालें खाद

हर एक पौधे को साल में दो बार 20-25 किलो गोबर की खाद और नाइट्रोजन, फास्फोरस ,पोटाश जैसी रासायनिक खाद बराबर मात्रा में दी जानी चाहिए. पहली बार खाद जून-जुलाई में और दूसरी बार अक्टूबर-नवंबर में डालना सबसे बेहतर रहता है.

रोगों से बचाएंगे जैविक कीटनाशक

अमरूद के पौधों की समय-समय पर प्रूनिंग (छटाई) करना जरूरी है. इससे नई टहनियां निकलती हैं और फल का आकार और गुणवत्ता बेहतर होती है. अमरूद के पौधों को रोगों से बचने के लिए नीम का गोल या ट्राइकोडर्म का छिड़काव किया जा सकता है. फलों को मक्खियों और पत्तों को झुलसा रोग से बचने के लिए जैविक कीटनाशक काफी कारगर साबित होते हैं. इससे लागत घटती है और फल सुरक्षित रहते है.

दोगुनी आमदनी का राज

एक्सपर्ट्स के अनुसार, अमरूद की तुड़ाई फलों के पूरी तरह पकाने से पहले कर लेनी चाहिए, जिससे फल बाजार तक ताजे और सही अवस्था में पहुंच सके. अच्छी पैकिंग, मार्केट की सही समझ और समय पर बिक्री से किसान आसानी से अपनी आमदनी दोगुनी कर सकते हैं.

Published: 5 Dec, 2025 | 10:30 PM

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