चंबल के किसानों को करोड़पति बना रही गुग्गुल जड़ी, 2000 रुपये है कीमत.. जान लें उगाने का तरीका
जैव विविधता बोर्ड और जेएनकेवीवी से ‘गुग्गुल मैन’ की उपाधि प्राप्त जाकिर हुसैन पिछले 25 सालों से यहां के किसानों को गुग्गुल, अश्वगंधा और शतावर की खेती के गुण सिखा रहे हैं.
आज के समय में किसान पारंपरिक फसलों की खेती छोड़कर औषधीय फसलों की खेती की तरफ रुख करने लगे हैं. बाजार में औषधीय फसलों की ज्यादा मांग होने के कारण अब किसान इन फसलों की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. ऐसा ही कुछ मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में हो रहा है, जहां औषधीय पौधों की खेती कर किसान अपनी अलग पहचान बना रहे हैं. यहां के किसान गुग्गुल जैसी बहुमूल्य जड़ी-बूटी की खेती से बंपर पैदावार ले रहे हैं. जैव विविधता बोर्ड और जेएनकेवीवी से ‘गुग्गुल मैन’ की उपाधि प्राप्त जाकिर हुसैन पिछले 25 सालों से यहां के किसानों को गुग्गुल, अश्वगंधा और शतावर की खेती के गुण सिखा रहे हैं. ये उन्हीं की कोशिश का नतीजा है कि आज के समय में गुग्गुल जैसी जड़ी-बूटी की सालान पैदावार 222 क्विंटल तक पहुंच गई है.
विलुप्त हुई प्रजाति फिर हुई जावित
गुग्गुल एक ऐसी औषधीय जड़ी-बूटी है जो कि विलुप्त हो चुकी थी लेकिन उसे फिर से जीवित करने का काम किया जाकिर हुसैन ने जिन्हें जैव विविधता बोर्ड और जेएनकेवीवी द्वारा ‘गुग्गुल मैन’ की उपाधि दी गई है. बता दें कि जाकिर पिछले 25 सालों से किसानों को औषधीय फसलों की खेती के बारे में जानकारी देकर उसके गुण सिखा रहे हैं. इनमें गुग्गुल, अश्वगंधा और शतावर जैसी औषधीय फसलें शामिल हैं. ये जाकिर हुसैन की मेहनत और कोशिश का ही नतीजा है कि जो गुग्गुल लगभगह विलिुप्त हो चुकी थी आज न केवल किसान उसकी खेती से बंपर पैदावार कर रहे हैं बल्कि आज गुग्गुल की खेती की सालाना पैदावार 222 क्विंटल तक पहुंच गई है.
गुग्गुल की विलुप्त प्रजाति फिर से हुई जीवित
गुग्गुल की खेती से जुड़े हैं 500 परिवार
समाचार एजेंसी प्रसार भारती के अनुसरा, गुग्गुल एक ऐसी औषधीय जड़ी-बूटी जिसका इस्तेमाल आयुर्वेद में होने के साथ-साथ परफ्यूम, धूप और अगरबत्ती बनाने में भी किया जाता है. बता दें कि, मध्य प्रदेश के चंबल इलाके में करीब 1.5 लाख से ज्यादा औषधीय पौधे लगे हैं. इन पौधों से मिलने वाले उत्पादों को हिमालय, डाबर और वैद्यनाथ जैसी कंपनियां यहां से इनसे होने वाली पैदावार की खरीद. गुग्गुल की खेती से मुरैना जिले के करीब 500 परिवार जुड़े हुए हैं. खास बात ये है कि भारत में होने वाले गुग्गुल के कुल उत्पादन का आधा हिस्सा अकेले यहीं से होता है.
गुग्गुल की पौध के साथ ‘गुग्गुल मैन’ जाकिर हुसैन
खेती का तरीका और पैदावार
गुग्गुल की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली हल्की रेतीली या दोमट मिट्टी बेस्ट होती है जिसका pH मान 7 से 8 के बीच होना चाहिए. इसकी खेती करते समय इस बात का खास खयाल रखना चाहिए कि खेत में जलभराव न हो, क्योंकि जलभराव होने के कारण पौधे मर सकते हैं. 1 हेक्टेयर जमीन पर गुग्गुल की खेती के लिए किसानों को लगभग 2500 से 3000 पौधे लगाने की जरूरत होती है. इसके पौधों की रोपाई करते समय पौधों से पौधों के बीच की दूरी करीब 2 मीटर होनी चाहिए. गुग्गुल की प्रति हेक्टेयर फसल से एक साल में किसान करीब 5 से 10 लाख रुपये तक की आमदनी कर सकते हैं. इसके प्रति किलोग्राम उत्पाद की कीमत बाजार में 2 हजार रुपये तक है.