मॉनसून में शीशम की खेती करना है बेस्ट, 18 लाख रुपये तक किसानों को होता है मुनाफा
शीशम के पौधों की रोपाई के तुरंत बाद उनकी सिंचाई करें. सर्दी के मौसम में या ऐसी जगह जहां सूखा रहता हो वहां समय-समय पर पानी देना बेहद जरूरी है. मॉनसून में बारिश के अलावा पानी देने की जरूरत नहीं है.
अगर आपके घर में लकड़ी का फर्नीचर है तो आपने शीशम का नाम जरूर सुना होगा. जी हां लोग अकसर आपस में बात करते हुए कहते हैं कि फर्नीचर तो शीशम की लकड़ी का ही सबसे बढ़िया होता है. शीशम जिसे अंग्रेजी में Rosewood कहते हैं , मॉनसून सीजन की फसल है. शीशम की खेती के लिए मॉनसून सीजन को बेस्ट माना जाता है. भारत में शीशम का इस्तेमाल व्यावसायिक तौर पर किया जाता है. यही कारम है कि इसकी खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है. शीशम के पेड़ की लकड़ी टिकाऊ होती है, इसी कारण से लोग इसकी लकड़ी से फर्नीचर बनवाना पसंद करते हैं ताकि लंबे समय तक चले. इसकी पत्तियों में मौजूद प्रोटीन इसे खास बनाता है क्योंकि पत्तियों को पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
खेती के लिए सही मिट्टी का चुनाव
शीशम की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली रेतीली या अच्छी नमी वाली मिट्टी सही होती है, जिसका pH मान 7.7 होना चाहिए. अगर ऐसी जमीन का चुनाव किया जाए जहां पानी जमा न होता है तो और भी बेहतर है. शीशम की खेती के लिए 4 से 45 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है. शीशम की फसल लगाने से पहले खेत की अच्छे से जुताई करना बेहद जरूरी है.
पौधा लगाने का तरीका
शीशम के बीजों की बुवाई से पहले जरूरी है कि बीजों का उपचार कर लिया जाए. उपचार के लिए बीजों को 12 से 48 घंटों तक पानी में भिगोकर उनका अंकुरण कर लें. इसके बाद पॉलिथीन बैग या गमले में मिट्टी डालें. बता दें कि बुवाई के करीब 7 से 21 दिन बाद अंकुरण होने लगता है. एक बार अंकुरण के बाद जब पौधे 10 से 20 सेमी ऊंचे हो जाएं तब उन्हें मुख्य खेत में लगा दें.
सही समय पर सिंचाई है जरूरी
शीशम के पौधों की रोपाई के तुरंत बाद उनकी सिंचाई करें. सर्दी के मौसम में या ऐसी जगह जहां सूखा रहता हो वहां समय-समय पर पानी देना बेहद जरूरी है. मॉनसून में बारिश के अलावा पानी देने की जरूरत नहीं है. सिंचाई के साथ ही खेत को भरपूर मात्रा में खाद दें ताकि पौधे बेहतर तरीक से बढ़ सकें.
उत्पादन और कमाई
अगर शीशम की पारंपरिक किस्म की खेती की गई है को उससे किसानों को पौधा लगाने के करीब 10 साल बाद पहली कटाई की फसल मिलती है. शीशम की लकड़ी कटाई के बाद खुद से बढ़ने लगती है, इसके कारण किसाम 10 से 15 सालों में कई बापर रोटेशन में इसकी लकड़ी प्राप्त कर सकते हैं. अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगर शीशम के पौधे की सही से देखभाल की जाए तो 15 साल में किसानों को इसकी फसल से 18 लाख तक का शुद्ध मुनाफा हो सकता है.