गन्ने की पत्तियों का बदल रहा है रंग तो हो जाएं सावधान, हो सकता है इन 2 खतरनाक कीटों का हमला
बरसात के दिनों में अकसर गन्ने की फसल में रूट बोरर या फिर सफेद गिड़ार का खतरा बढ़ सकता है. इनके प्रकोप से पत्तियों का रंग बदलकर पीला हो जाता है. इससे फसल को नुकसान पहुंचता है.
मॉनसून सीजन में बारिश का अच्छी मात्रा में होना गन्ने की फसल के लिए बहुत ही अच्छा होता है. इन दिनों गन्ने की ग्रोथ तेजी से होती है. जुलाई से सितंबर का महीना गन्ने की फसल के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. लेकिन इस मौसम में गन्ने की फसल पर रोगों और कीटों के आक्रमण का भी खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में अगर किसान फसल की सही से देखभाल न करें और कीटों और रोगों को कंट्रोल करने के लिए जरूरी कदम न उठाएं तो गन्ने की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो सकती है. ऐसा होने पर न केवल फसल को नुकसान होता है बल्कि किसानों को भी इसका भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. ऐसे में जरूरी है कि किसान समय रहते इन कीटों और रोगों के बारे में सारी जानकारी जुटा लें और उन्हें रोकने के तरीके अपनाएं.
समय रहते पहचानें कीटों के लक्षण
कुछ कीट ऐसे होते हैं जिनकी आक्रमण से गन्ने की पत्तियां रंग बदलने लगती हैं. अगर किसानों को अपनी गन्ने की फसल में इस तरह का बदलाव नजर आए तो ये फसल के लिए नुकसान का संकेत हो सकता है. बरसात के दिनों में अकसर गन्ने की फसल में रूट बोरर या फिर सफेद गिड़ार का खतरा बढ़ सकता है. पत्तियों का रंग बदलकर पीला पड़ना इन्हीं कीटों के खतरे का लक्षण है. ये कीट गन्ने की जड़ को मिट्टी में रहते हुए कुतर देते हैं और इसके बाद गन्ने की पत्तियों का रंग पीला पड़ने लगता है. आगे चलकर ये पत्तियां मुरझा कर सूख जाती हैं. अगर समय रहते इन कीटों को न रोका जाए तो ये पूरी फसल को बर्बाद करने की क्षमता रखते हैं.
बचाव के लिए अपनाएं जैविक तरीका
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गन्ने की फसल में लगने वाले इन कीटों को जैविक तरीके से रोका या कंट्रोल किया जा सकता है. जैविक तरीके से बचाव के लिए किसान गोबर की सड़ी हुई खाद में 2 किलोग्राम मैटाराइजियम एनीसोपली दवा को मिलकार प्रति एकड़ की दर से खेत में डाले सकते हैं. ऐसा करने से गन्ने की फसल को इन 2 खतरनाक कीटों से बचाया जा सकता है और फसल की ग्रोथ में भी तेजी आती है.
ऐसे करें गन्ने की खेती
गन्ने की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट, बलुई दोमट या काली मिट्टी सबसे सही होती है, जिसका pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. बता दें कि गन्ने की खेती के लिए 20 डिग्री से 38 डिग्री सेल्सियस का तापमना सबसे बेस्ट होता है. बात करें गन्ने की फसल से होने वाली पैदावार की तो इसकी प्रति एकड़ फसल से किसानों को 40 से 60 टन की पैदावार मिलती है. अगर किसान उन्नत तकनीकों से गन्ने की खेती करें तो ये पैदावार बढ़कर 80 से 100 टन भी हो सकती है