दूध उत्पादन देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है. खासकर बिहार जैसे राज्यों में लाखों किसान और पशुपालक अपने घरों में गाय-भैंस पालकर रोजी-रोटी कमाते हैं. लेकिन कई बार सही जानकारी न होने के कारण दूध की मात्रा कम हो जाती है या पशुओं की सेहत बिगड़ जाती है. बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग और गव्य विकास निदेशालय की ओर से कुछ जरूरी उपाय बताए गए हैं जिनकी मदद से किसान अपने पशुओं से ज्यादा और साफ दूध प्राप्त कर सकते हैं.
दुहाई का सही तरीका अपनाएं
दूध निकालने का सही तरीका दूध उत्पादन में बड़ा फर्क ला सकता है. सबसे जरूरी बात यह है कि गाय या भैंस को रोज़ एक तय समय पर ही दुहा जाए- सुबह और शाम. जैसे अगर सुबह 6 बजे और शाम को 6 बजे दुहाई की आदत है, तो इसे हर दिन नियमित रखें. इससे पशु का शरीर एक रूटीन के हिसाब से काम करता है और दूध की मात्रा में बढ़ोतरी होती है. इसके अलावा, दुहने से पहले और बाद में थनों को साफ करना बेहद जरूरी है. गुनगुने पानी से थनों की सफाई करें और साफ सूती कपड़े से पोंछें. इससे संक्रमण नहीं होगा और दूध की गुणवत्ता भी अच्छी रहेगी.
थन की सूजन और बीमारी की जांच ज़रूरी
कई बार पशुओं के थनों में सूजन आ जाती है या उन्हें मास्टाइटिस नाम की बीमारी हो जाती है. यह एक आम समस्या है जिसमें थन में दर्द, लालिमा और सख्ती आ जाती है, जिससे दूध की मात्रा घट जाती है और कभी-कभी खून भी आ सकता है. इसलिए हर रोज दुहने से पहले और बाद में थनों को ध्यान से देखें. अगर किसी तरह की सूजन, गर्मी या असामान्य बदलाव दिखे, तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें. समय पर इलाज से पशु को राहत मिलती है और दूध उत्पादन में भी कोई रुकावट नहीं आती.
साफ-सफाई और पशु का आराम है जरूरी
जैसे इंसान को अच्छा माहौल चाहिए, वैसे ही पशु भी साफ और शांत वातावरण में ज्यादा दूध देते हैं. पशुओं का बाड़ा साफ-सुथरा रखें, वहां धूल-मिट्टी, कीचड़ या गंदगी न हो. बिछावन के लिए सूखी भूसी, चावल का भूसा या साफ सूखी घास का इस्तेमाल करें. पशु को रोज सुबह-शाम टहलने के लिए बाहर निकालें ताकि उसका शरीर स्वस्थ रहे. साथ ही, मच्छरों और कीड़ों से बचाव के लिए नियमित छिड़काव करें. जब पशु खुश और आराम में रहता है, तो उसका शरीर ज्यादा दूध बनाता है.
पोषणयुक्त आहार और समय पर चारा
पशु को सही समय पर संतुलित और पौष्टिक आहार देना बहुत जरूरी है. सिर्फ सूखा चारा देने से काम नहीं चलेगा. हरे चारे, खली, भूसी, मिनरल मिक्स और साफ पानी की व्यवस्था हमेशा करें. रोजाना कम से कम तीन बार चारा दें और एक बड़ी बाल्टी ताज़ा पानी दिनभर उपलब्ध रखें. इसके अलावा, गर्भवती और दूध देने वाली गायों को अतिरिक्त पोषण देना चाहिए ताकि वे स्वस्थ रहें और दूध की मात्रा में कमी न हो.
पशु की देखभाल और समय पर टीकाकरण
अगर पशु बीमार हो जाए तो दूध की मात्रा घट जाती है और कभी-कभी दूध देना बंद भी कर देता है. इससे बचने के लिए समय-समय पर टीकाकरण कराना और नियमित जांच कराना बहुत जरूरी है. स्थानीय पशु चिकित्सक से संपर्क कर हर साल जरूरी टीके लगवाएं. इसके अलावा, साल में एक या दो बार कृमिनाशक दवा भी जरूर दें ताकि पशु का पाचन ठीक रहे और वह सही तरीके से खा सके. जब पशु स्वस्थ रहेगा, तभी वह अधिक दूध देगा.