पशुओं की बीमारियां दूर कर रहीं पशु सखियां, टीकाकरण से लेकर इलाज तक घर-घर पहुंचा रहीं

पशु सखी योजना से ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. अब ये महिलाएं पशुओं का इलाज, टीकाकरण और देखभाल कर रही हैं. इससे उनकी आमदनी 30 हजार रुपये तक पहुंच रही है और सामाजिक पहचान भी मिल रही है.

नोएडा | Published: 2 Sep, 2025 | 12:42 PM

सरकार का उद्देश्य है कि देश के हर नागरिक को आत्मनिर्भर बनाया जाए. इसी कड़ी में मोदी सरकार द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) ग्रामीण महिलाओं के लिए वरदान बन गई है. इस मिशन के तहत पशु सखी योजना ने गांव की महिलाओं को एक नई पहचान दी है. अब ये महिलाएं पशुओं का इलाज करती हैं, टीकाकरण करती हैं, किसानों को सलाह देती हैं और हर महीने अच्छी आमदनी भी कर रही हैं.

क्या है पशु सखी योजना?

पशु सखी योजना का उद्देश्य है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं को पशुपालन और कृषि से जुड़ी तकनीकी जानकारी देकर उन्हें पैरामेडिकल स्टाफ की तरह प्रशिक्षित किया जाए. इसके बाद ये महिलाएं गांव-गांव जाकर पशुओं का इलाज, टीकाकरण और दवाएं देती हैं. साथ ही कृषि और पोषण से जुड़ी जरूरी जानकारी भी किसानों तक पहुंचाती हैं. प्रसार भारती के अनुसार NRLM अधिकारी गंगाराम ने कहा कि कानपुर देहात में इस योजना के तहत 40 महिलाएं पशु सखी और कृषि सखी के रूप में काम कर रही हैं.

पशु सखी बहन की ज़ुबानी- अब हम भी बाहर निकलकर कमा रहे हैं

ग्राम पंचायत लोधीपुर की रहने वाली एक महिला अब पशु सखी बनकर आत्मनिर्भर जीवन जी रही हैं. उन्होंने बताया कि अब तक उन्होंने पीपीआर और एटीआर टीकाकरण, कीड़े मारने की दवा और गांव में प्रचार-प्रसार का कार्य किया है. वह घर-घर जाकर पशुओं की देखभाल करती हैं. ग्रामीण महिलाएं कहती हैं कि उनके आने से बकरियां स्वस्थ रहने लगी हैं और खर्च भी कम हुआ है. उन्होंने कहा कि पहले कभी नहीं सोचा था कि गांव की महिलाएं भी 28 से 30 हजार रुपये महीना कमा सकती हैं. अब जीवन में आत्मविश्वास और सम्मान दोनों बढ़े हैं.

महिलाओं को मिल रहा प्रशिक्षण और पहचान

पशु सखी और कृषि सखी बनने के लिए महिलाओं को जिला ग्राम विकास संस्थान रावलपिंडी की ओर से प्रशिक्षण दिया जाता है. सबसे पहले सरवनखेड़ा ब्लॉक में 40 महिलाओं को प्रशिक्षण मिला, जो अब काम कर रही हैं. इसके बाद अब अमरौढ़ा और अकबरपुर में 3 तारीख से 35-35 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इनका काम सिर्फ पशुओं तक सीमित नहीं है. ये महिलाएं किचन गार्डन, पोषण आहार, फसल की सुरक्षा और स्वस्थ जीवनशैली की भी जानकारी देती हैं.

क्या-क्या काम करती हैं पशु सखियां?

  • पशुओं का टीकाकरण और बीमारियों से बचाव
  • कीड़े मारने की दवा और उपचार
  • गर्भवती पशुओं की देखभाल
  • कृषि से जुड़ी सलाह, जैसे कौन सा खाद कब डालें
  • घरों में किचन गार्डन और पोषण आहार की जानकारी
  • जरूरत पड़ने पर सरकारी योजनाओं की जानकारी देना
  • इन कामों के लिए उन्हें गांववालों से सेवा शुल्क के रूप में पैसे मिलते हैं, जिससे उनकी अच्छी आमदनी हो जाती है.

गांवों में बढ़ रही है महिलाओं की अहमियत

इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह गांव की महिलाओं को गांव में ही रोजगार दे रही है. उन्हें शहरों की ओर पलायन नहीं करना पड़ता. अब लोग इन महिलाओं को गांव की डॉक्टर दीदी कहने लगे हैं. उनकी सलाह को लोग मानते हैं और इज्जत भी देते हैं. इससे महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है और वे समाज में अपनी एक अलग पहचान बना रही हैं.