मछली पालकों के लिए जरूरी सलाह, तालाब की गलत सेटिंग घटा सकती है 40 फीसदी उत्पादन
यूपी में मछली पालन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआती गलतियां किसानों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती हैं. तालाब की दिशा, गहराई और सही साइज के बच्चों को डालना बेहद जरूरी है. थोड़ी सी चूक उत्पादन को काफी हद तक घटा देती है, इसलिए सावधानी जरूरी है.
Fish Farming : मछली पालन में की गई छोटी गलती भी बड़ा नुकसान करा सकती है. खेत हो या तालाब, कमाई का रास्ता तभी खुलता है जब तकनीक सही हो और शुरुआत मजबूत हो. यूपी में मछली पालन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआती चूक उत्पादन को 30-40 फीसदी तक घटा सकती है. यही कारण है कि मत्स्य विभाग ने किसानों को कुछ अहम सावधानियों पर ध्यान देने की सलाह दी है, ताकि कमाई लगातार बनी रहे और तालाब की दिशा गलत पड़ने से नुकसान न उठाना पड़े.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मत्स्य विशेषज्ञ बताते हैं कि सबसे आम गलती तालाब का आकार और दिशा होती है. मछली पालन के लिए तालाब की लंबाई कम से कम 0.2 हेक्टेयर होनी चाहिए और इसकी दिशा पूर्व-पश्चिम रखी जानी चाहिए. इससे तालाब में धूप का संतुलित प्रवेश होता है और पानी का तापमान नियंत्रित रहता है. अगर तालाब छोटा हो या गलत दिशा में बना हो, तो पानी जल्दी गर्म हो जाता है, जिससे मछलियों पर तनाव बढ़ता है और उनकी वृद्धि धीमी पड़ जाती है. पानी की गहराई भी महत्वपूर्ण है. कम गहराई में मछलियां तेज धूप के कारण बीमार हो जाती हैं और ज्यादा गहराई में दवाएं और खाद समान रूप से नहीं फैल पातीं.
रोहू-कतला के लिए कितनी गहराई जरूरी?
विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय मेजर कार्प (IMC) जैसे रोहू, कतला और मृगल के लिए पानी की गहराई कम से कम 1.5 से 2 मीटर होनी चाहिए. पंगेशियस (सिलम) को कम गहराई की जरूरत होती है और उसके लिए 1 से 1.5 मीटर पानी काफी है. यदि पानी की गहराई इन मानकों से कम हो जाए तो मछलियों की प्रतिरोधक क्षमता घटती है और उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है. यानी गलती सिर्फ तालाब खोदने में हो जाए, तो नुकसान पूरे सीजन का हो सकता है.
गलत साइज के बच्चे छोड़ना पड़ सकता है भारी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक और गंभीर गलती है-बहुत छोटे आकार के फिंगरलिंग छोड़ देना. विशेषज्ञ बताते हैं कि IMC प्रजाति के बच्चों का आकार कम से कम 4 से 6 इंच होना चाहिए. इस साइज से छोटे बच्चे तालाब के वातावरण में जल्दी एडजस्ट नहीं कर पाते और शुरुआती सप्ताह में उनकी मृत्यु दर बढ़ जाती है. अगर किसान नियमित रूप से तालाब की सफाई , उचित खाद प्रबंधन और संतुलित आहार पर ध्यान दें, तो एक साल में बेहतरीन उत्पादन हासिल हो सकता है. विभाग के अधिकारी बताते हैं कि कई किसान इन तकनीकों को अपनाकर शानदार कमाई कर रहे हैं और अब विभाग भी प्रशिक्षण शिविर लगाकर आधुनिक तकनीक सिखा रहा है.