Fish Farming : सर्दियों की ठिठुरन सिर्फ इंसानों पर ही नहीं, बल्कि पानी में तैरती मछलियों पर भी गहरा असर डालती है. तापमान घटते ही तालाब का पानी ठंडा होने लगता है और मछलियां धीरे-धीरे सुस्त पड़ जाती हैं. गांव के तालाब में खेलती मछलियों से लेकर बड़े मत्स्य फार्म तक, सर्द मौसम मछली पालन को चुनौती भरा बना देता है. ऐसे में जरा-सी लापरवाही भी बड़ी हानि का कारण बन सकती है. कई किसान बताते हैं कि अगर सर्दियों में तालाब की ठीक से देखभाल न की जाए, तो एक ही रात में हजारों की मछली मर जाती है. यही वजह है कि इस मौसम में संभलकर और समझदारी से मछली पालन करना बेहद जरूरी हो जाता है.
सर्दियों में मछलियों की परेशानियां बढ़ क्यों जाती हैं?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जैसे-जैसे तापमान कम होता है, मछलियों की गतिविधियां भी कम होने लगती हैं. वे धीमी तैरती हैं, कम खाना खाती हैं और सतह पर आने लगती हैं. पानी ठंडा होने की वजह से उनकी पाचन क्रिया भी धीमी पड़ जाती है. इस दौरान यदि पानी की गुणवत्ता बिगड़ जाए, ऑक्सीजन कम हो जाए या तालाब गंदा हो, तो मछलियां जल्दी बीमार पड़ जाती हैं. कई बार देखा जाता है कि लगातार कोहरा छाने से तालाब का पानी ठंडा होकर भारी हो जाता है और मछली की सांस लेने की क्षमता कम हो जाती है. इससे उनका बचना मुश्किल हो जाता है. यही वजह है कि सर्दियां मछली पालकों के लिए सबसे कठिन मौसम मानी जाती हैं.
तालाब का सही प्रबंधन ही मछलियों की सुरक्षा की चाबी है
सर्दियों में तालाब की देखभाल सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है. ठंड बढ़ने पर तालाब का पानी नीचे बैठने लगता है, जिससे उसमें मौजूद पोषक तत्व कम हो जाते हैं. ऐसे में पौष्टिकता बनाए रखने के लिए तालाब में चूना, सिंगल सुपर फॉस्फेट, मिनरल मिक्सचर और सरसों की खल्ली घोलकर डालना बेहद जरूरी है. यह प्रक्रिया हर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर दोहरानी चाहिए, ताकि पानी में संतुलन बना रहे. इसके अलावा जब तापमान बहुत नीचे गिर जाए या कोहरा लगातार बना रहे, तो तालाब में खाद या दवा डालना रोक देना चाहिए, क्योंकि इस समय पानी की सक्रियता कम हो जाती है और किसी भी बाहरी चीज़ का गलत असर मछलियों पर जल्दी पड़ता है. एक साफ-सुथरा, संतुलित और नियंत्रित तालाब ही सर्दी से मछलियों की रक्षा कर सकता है.
ठंड में मछलियों को कम लेकिन पौष्टिक भोजन देना जरूरी
सर्दियों में मछलियों के खाने की मात्रा कम हो जाती है. उन्हें जितना आहार दिया जाए, वह पूरी तरह पौष्टिक और हल्का होना चाहिए. ऐसा भोजन जिसमें प्रोटीन, विटामिन और खनिज हों, मछलियों के लिए इस मौसम में सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है. ठंड अधिक होने पर भोजन सुबह बहुत जल्दी या देर शाम नहीं देना चाहिए, क्योंकि उस समय पानी का तापमान बेहद कम होता है. धूप निकलने के बाद और पानी थोड़ा गर्म महसूस होने पर ही आहार देना सही माना जाता है. यदि भोजन अधिक मात्रा में डाल दिया जाए, तो वह तालाब में जमा होकर सड़ने लगता है, जिससे पानी में अमोनिया बढ़ जाता है और मछलियों के लिए खतरनाक स्थिति पैदा करता है. इसलिए सर्दियों में भोजन जितना कम, उतना सुरक्षित-लेकिन जितना दिया जाए, वह पूरा पौष्टिक होना चाहिए.
सर्दियों में बीमारी का खतरा बढ़ता है, नमक का घोल बड़ा सहायक
ठंडे मौसम में मछलियों में त्वचा रोग, फफूंद और परजीवी संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है. इस समय तालाब में नमक का घोल डालना एक बेहद आसान और प्रभावी उपाय माना जाता है. नमक पानी की गुणवत्ता को संतुलित करता है और मछलियों को बाहरी संक्रमण से बचाता है. नमक डालने से मछलियों की त्वचा सुरक्षित रहती है और उनका रोग प्रतिरोधक तंत्र मजबूत होता है. सर्दियों में अक्सर देखा जाता है कि यदि तालाब का पानी बहुत ठंडा हो जाए, तो मछलियों के शरीर पर सफेद धब्बे और फफूंदी जैसी परत दिखने लगती है. ऐसे में नमक पानी को संतुलित कर बीमारियों को फैलने से रोकता है. बीमार मछलियों को तुरंत अलग करना और पानी का परीक्षण कराना भी जरूरी होता है ताकि बीमारी पूरे तालाब में न फैले.
फसलों के साथ मछली पालन
सर्दियों में कई किसान फसलों की मेढ़ में पानी भरकर मछली पालन की तकनीक अपनाते हैं. इस तरीके में मछलियां प्राकृतिक रूप से मिलने वाले भोजन पर ही निर्भर रहती हैं, जिससे दाने का खर्च काफी कम हो जाता है. फसलों के साथ मछली पालन की यह विधि कम लागत में अधिक मुनाफा देती है. हालांकि इस तकनीक में सावधानी ज्यादा रखनी पड़ती है. मेढ़ मजबूत होनी चाहिए, पानी भरपूर हो और तापमान लगातार नीचे न गिरे. इस तरीके से छोटे किसानों को अच्छी आय होती है और खेत के साथ-साथ पानी और क्षेत्र का बेहतर उपयोग भी हो पाता है.