हर पशुपालक की चाहत होती है कि उसका पशु ज्यादा दूध दे और हमेशा तंदुरुस्त रहे. इसके लिए वे तरह-तरह की कोशिशें करते हैं. लेकिन अगर सही चारा समय पर और सही तरीके से दिया जाए, तो बिना किसी महंगी दवा के भी गाय-भैंस की दूध देने की क्षमता बढ़ाई जा सकती है. कुछ खास घासें हैं जो दुधारू पशुओं के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही हैं. आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ जादुई घासों के बारे में.
बरसीम घास: सर्दियों की ताकतवर घास
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बरसीम घास इस इलाके में सबसे ज्यादा खिलाई जाती है. यह खासकर सर्दियों और बरसात के मौसम में उगाई जाती है. इसमें कैल्शियम और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है, जो पशु के पाचन को दुरुस्त रखती है. इससे दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होती है और पशु लंबे समय तक दूध देता है. इसका हरा रूप देखकर ही किसान इसे ‘हरा सोना’ कहते हैं. बरसीम की बुवाई आसान है और ये कम लागत में तैयार हो जाती है. इसलिए छोटे किसान भी इसे आराम से उगा सकते हैं.
जिरका घास: दूध बढ़ाने वाली सस्ती घास
जिरका घास भी एक बहुत ही असरदार हरा चारा है, जो गर्मी और बरसात दोनों मौसम में आसानी से उगाई जा सकती है. इसमें भी कैल्शियम और फास्फोरस की मात्रा अच्छी होती है, जो गाय-भैंस के दूध बढ़ाने में मदद करती है. इसकी बुवाई आसान है और देखरेख भी कम लगती है, इसलिए जिन किसानों के पास ज्यादा संसाधन नहीं हैं, उनके लिए ये बढ़िया विकल्प है. जिरका घास खिलाने से पशु की सेहत में भी सुधार होता है और वह बीमारियों से दूर रहता है.
नेपियर घास: सालभर हरा चारा और सेहत का खजाना
नेपियर घास को दुधारू पशुओं के लिए सबसे उत्तम आहार माना जाता है. यह बुवाई के दो महीने बाद ही कटाई के लिए तैयार हो जाती है और एक बार बोने के बाद 4-5 साल तक हरा चारा देती है. इसमें प्रोटीन और विटामिन की भरपूर मात्रा होती है, जिससे पशु तंदुरुस्त रहता है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. मातादीन पटेल बताते हैं कि यह घास सूखे और बंजर इलाकों में भी आसानी से उगाई जा सकती है. किसान इसे अपने खेत की मेड़ों पर भी उगा सकते हैं. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह सालभर चारे की चिंता खत्म कर देती है.
गर्मी में जुंडी (ज्वार) घास है फायदेमंद
गर्मियों के मौसम में पशुओं को जुंडी घास, जिसे आम भाषा में ज्वार का चारा भी कहा जाता है, खिलाया जाता है. इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है जो पाचन के लिए फायदेमंद है. इसके अलावा यह पशु के शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है. इससे पशु स्वस्थ रहता है और दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है. ज्वार घास की बुवाई भी बेहद आसान है और यह कम समय में तैयार हो जाती है.