Cattle Care: शीतलहर से पशुओं को कैसे बचाएं, सरकार ने बताए आसान और जरूरी उपाय

ठंड और शीत लहर का असर सिर्फ इंसानों पर नहीं, बल्कि पशुओं पर भी पड़ता है. बिहार सरकार के डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग ने पशुधन को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी सावधानियां बताई हैं. सही समय पर देखभाल और समझदारी अपनाकर किसान अपने पशुओं को बीमारियों से बचा सकते हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 16 Dec, 2025 | 09:19 PM

Bihar News : जैसे-जैसे ठंड का असर बढ़ता है, वैसे-वैसे इंसानों के साथ-साथ पशुओं की मुश्किलें भी बढ़ जाती हैं. ठंडी हवा, कोहरा और शीत लहर पशुओं के स्वास्थ्य पर सीधा असर डालती है. कई बार थोड़ी सी लापरवाही से पशु बीमार पड़ जाते हैं, जिससे किसानों और पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ता है. इसे देखते हुए बिहार सरकार के डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग ने पशुओं को शीत लहर से बचाने के लिए जरूरी सलाह जारी की है. विभाग का कहना है कि समय पर सही देखभाल से पशुधन स्वस्थ रहेगा और किसानों की आमदनी भी सुरक्षित रहेगी.

शीत लहर से पहले करें पूरी तैयारी

बिहार पशुपालन विभाग के अनुसार,  ठंड शुरू होने से पहले ही स्थानीय मौसम की जानकारी लेते रहना जरूरी है. जैसे ही शीत लहर की संभावना हो, पशुशाला को चारों  तरफ से ढंकने की व्यवस्था कर लेनी चाहिए, खासकर रात के समय. पशुओं के लिए सूखे पुआल का बिछावन रखें ताकि वे जमीन की ठंड से बच सकें. रोशनी और हल्की गर्मी देने वाले उपकरण भी पहले से तैयार रखें, जिससे फ्रॉस्ट बाइट बिमारी का खतरा न हो.

साफ-सफाई और सुरक्षित पशुशाला है सबसे जरूरी

पशुओं को हमेशा सूखे और धुआं रहित स्थान पर रखें. गीली और धुएं वाली जगह पर रखने से न्यूमोनिया जैसी बीमारियों  का खतरा बढ़ जाता है. मुर्गियों और पक्षियों के लिए भी उनके रहने की जगह पर गर्मी की सही व्यवस्था होनी चाहिए. बाहरी कीड़ों से बचाव के लिए पशुशाला में नारगुण्डी और लेमन ग्रास की पत्तियां टांगी जा सकती हैं. साथ ही नीम तेल से बने कीटाणुनाशक का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है.

खान-पान और दवा में न करें कोई लापरवाही

जाड़े के मौसम में पशुओं को संतुलित आहार  देना बहुत जरूरी है. नमक और इलेक्ट्रोलाइट मिला पूरक आहार दें. खल्ली और गुड़ की मात्रा थोड़ी बढ़ा दें, इससे शरीर में गर्मी बनी रहती है. ठंडा पानी देने से बचें और दिन में तीन-चार बार हल्का गुनगुना पानी दें. ठंड शुरू होने से पहले कीड़ा मारने की दवा जरूर दिलवाएं और खुरपका-मुंहपका, पीपीआर व अन्य जरूरी टीकाकरण समय पर कराएं.

क्या न करें और कब लें डॉक्टर की मदद

ठंड के मौसम में पशुओं को खुले में न छोड़ें और न ही ठंडा खाना-पानी दें. बीमार, कमजोर और गर्भवती पशुओं  का खास ध्यान रखें. अगर पशु या पक्षी बीमार पड़ जाएं तो फर्जी डॉक्टरों के चक्कर में न पड़ें, बल्कि तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सालय से संपर्क करें. मरे हुए पशुओं का निस्तारण वैज्ञानिक तरीके से, आबादी और जल स्रोतों से दूर करें. साथ ही आग जलाने के साधनों को पशुशाला से दूरी पर रखें ताकि किसी हादसे से बचा जा सके. बिहार सरकार का साफ संदेश है कि ठंड में थोड़ सी समझदारी और समय पर देखभाल से पशुधन स्वस्थ रहेगा. स्वस्थ पशु ही किसानों की आमदनी  और परिवार की खुशहाली की सबसे बड़ी पूंजी हैं.

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Published: 16 Dec, 2025 | 09:19 PM
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