बीमारियों पर लगेगा ब्रेक और गांव-गांव पहुंचेगा इलाज, पशुधन योजना से बदलेगी तस्वीर

मोदी सरकार की पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण योजना के तहत गांव-गांव पशुओं के इलाज और टीकाकरण की सुविधा पहुंचाई जा रही है. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 29 May, 2025 | 04:39 PM

गांवों में अगर पशुधन हैं तो उसका सीधा मतलब है किसान की आय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़. लेकिन अगर गाय, बकरी, सुअर या मुर्गियों में बीमारी फैल जाए तो पूरा तंत्र चरमरा जाता है. ऐसे में केंद्र सरकार की एक अहम योजना, पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण योजना (Livestock Health and Disease Control – LH&DC) पशुपालकों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है.

केंद्र सरकार की यह योजना राज्यों के साथ मिलकर पशुओं में जानलेवा और आर्थिक रूप से नुकसानदेह बीमारियों पर काबू पाने के लिए चलाई जा रही है. इसकी शुरुआत 10वीं पंचवर्षीय योजना में हुई थी और समय के साथ इसे 11वीं और 12वीं योजनाओं में संशोधित किया गया. आज यह देशव्यापी स्तर पर कई अहम कार्यक्रमों को शामिल करती है.

पशु रोग नियंत्रण के लिए राज्यों को सहायता (ASCAD)

इस योजना के तहत केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण व ज़ूनोटिक रोगों के नियंत्रण हेतु टीकाकरण, जैविक उत्पादन इकाइयों व प्रयोगशालाओं की मजबूती तथा पशु चिकित्सकों के प्रशिक्षण के लिए सहायता देती है. कैनाइन रेबीज व एंडो-परजीवी नियंत्रण के लिए भी फंड मिलता है. बीमारी फैलने पर पक्षियों की हत्या व पशुओं में उन्मूलन पर किसानों को 50-50 फीसदी के अनुपात में मुआवजा दिया जाता है.

पेस्ट डेस पेटिट्स रूमीनेंट्स नियंत्रण कार्यक्रम (PPR-CP),

पेस्ट डेस पेटिट्स रूमीनेंट्स नियंत्रण कार्यक्रम (Peste des Petits Ruminants Control Programme) भेड़ और बकरीपालकों के लिए है. इस बीमारी के लिए पूरे देश में टीकाकरण कराया जाता है, जिससे लाखों गरीब किसानों को राहत मिलती है. इसके लिए केंद्र सरकार राज्यों को टीकाकरण और निगरानी कार्य हेतु वित्तीय सहायता देती है. सामान्य राज्यों के लिए निधि देने का पैटर्न 60:40 अनुपात का है, जबकि पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10 अनुपात और केंद्र शासित प्रदेशों को 100 फीसदी केंद्रीय सहायता दी जाती है.

पशु चिकित्सालयों की स्थापना (ESVHD)

इस योजना के तहत राज्यों को नए पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों की स्थापना में सहायता दी जाती है. साथ ही मौजूदा संस्थानों को उन्नत सुविधाओं से लैस करने, उपकरण प्रदान करने और मोबाइल एम्बुलेंस जैसी सेवाओं को मजबूती देने के लिए भी वित्तीय सहायता दी जाती है. सामान्य राज्यों में केंद्र और राज्य के बीच निधि पैटर्न 60:40 का अनुपात है, जबकि पूर्वोत्तर और तीन हिमालयी राज्यों के लिए यह 90:10 का अनुपात है. केंद्र शासित प्रदेशों को 100 फीसदी केंद्रीय सहायता मिलती है.

स्वाइन फ्लू नियंत्रण कार्यक्रम (CSF-CP)

स्वाइन फ्लू नियंत्रण कार्यक्रम (CSF-CP) पूर्वोत्तर भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जहां सूअर पालन आजीविका का प्रमुख स्रोत है. क्लासिकल स्वाइन ज्वर रोग सूअरों के लिए जानलेवा साबित होता है और इस रोग के नियंत्रण हेतु केंद्र सरकार टीकाकरण के लिए आर्थिक सहायता देती है. यह सहायता पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90:10 के अनुपात में केंद्र और राज्य के बीच वितरित की जाती है. कार्यक्रम का उद्देश्य सूअर पालन को सुरक्षित और लाभकारी बनाना है.

राष्ट्रीय रिंडरपेस्ट मॉनिटरिंग परियोजना (NPRSM)

रिंडरपेस्ट और संक्रामक बोवाइन प्लुरो-न्यूमोनिया (CBPP) से देश को मुक्त बनाए रखने हेतु निगरानी तंत्र को सुदृढ़ किया गया है. इस परियोजना के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 100 फीसदी केंद्रीय सहायता दी जाती है ताकि इन रोगों की पुनरावृत्ति न हो और पशुधन को सुरक्षित रखा जा सके. यह योजना मई 2006 और मई 2007 में प्राप्त रोगमुक्त प्रमाणन के बाद प्रभावी रूप से चलाई जा रही है.

भारत की बड़ी आबादी आज भी पशुपालन पर निर्भर है. जब पशु स्वस्थ होंगे, तभी किसान की आमदनी टिकाऊ होगी. LH&DC योजना केवल बीमारी पर काबू नहीं करती, बल्कि ग्रामीण भारत की आर्थिक सेहत को भी दुरुस्त करती है.

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Published: 29 May, 2025 | 04:39 PM

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