Desi Cow Breeds : अगर आप पशुपालन शुरू करने की सोच रहे हैं और चाहते हैं कि कम खर्च में ज्यादा दूध मिले, तो देसी गायों की कुछ खास नस्लें आपके लिए बेस्ट साबित हो सकती हैं. देश के अलग-अलग राज्यों में पाली जाने वाली ये पांच गाय नस्लें जो एक ब्यांत में 400 से 725 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती हैं. खास बात यह है कि इन गायों का रख-रखाव भी आसान है और इनके दूध में वसा की मात्रा काफी अच्छी पाई जाती है. आइए सरल भाषा में इन नस्लों की पहचान और खासियत समझते हैं.
गाओलाओ गाय
गाओलाओ गाय (Gaolao cow) मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के इलाकों में पाई जाती है. यह गाय दिखने में मजबूत और आकार में मध्यम होती है, जिसका रंग सफेद से लेकर सलेटी तक देखा जाता है. दूध उत्पादन की बात करें तो यह गाय एक ब्यांत में लगभग 470 से 725 लीटर दूध दे देती है. इसके दूध में करीब 4.32 फीसदी वसा पाया जाता है, जिससे दूध गाढ़ा और पौष्टिक बन जाता है. यह गाय कम खर्च में आसानी से पाली जा सकती है.
कोसली गाय
छत्तीसगढ़ में पाली जाने वाली कोसली गाय (kosali cow) ज्यादा बड़ी नहीं होती, लेकिन इसके दूध में फैट काफी अच्छा मिलता है. यह गाय एक ब्यांत में 200 से 250 लीटर दूध देती है, जिसमें वसा की मात्रा लगभग 4.5 फीसदी होती है. इसका रंग सफेद-भूरा या हल्का लाल होता है और वजन लगभग 150-200 किलो तक रहता है. छोटे किसानों के लिए यह नस्ल काफी उपयोगी मानी जाती है.
कोंकण कपिला गाय
कोंकण क्षेत्र की यह गाय अपने हल्के पीले या भूरे रंग के लिए जानी जाती है. इसका चेहरा सीधा और आकार छोटा से मध्यम होता है. यह गाय एक ब्यांत में 400-500 लीटर दूध उपलब्ध कराती है. इसके दूध में 4.6 फीसदी वसा पाई जाती है. करीब 200-225 किलो वजन वाली यह नस्ल किफायती और मजबूत मानी जाती है तथा गर्म क्षेत्रों में आसानी से स्वयं को ढाल लेती है.
घुमुसारी गाय
ओडिशा की घुमुसारी गाय अपनी दूध उत्पादन क्षमता और अधिक फैट के लिए पहचानी जाती है. यह गाय एक ब्यांत में 450 से 650 लीटर तक दूध देती है. इसके दूध में 4.8 फीसदी से 5 फीसदी तक वसा पाई जाती है, जो इसे बेहद खास बनाती है. इसका रंग ज्यादातर सफेद होता है और वजन लगभग 150-200 किलो तक होता है. यह गाय गर्मी और नमी वाले इलाकों में भी आसानी से रह लेती है.
कृष्णा वैली गाय
कर्नाटक में अधिक पाली जाने वाली कृष्णा वैली गाय एक भरोसेमंद नस्ल मानी जाती है. यह एक ब्यांत में 400 से 700 लीटर दूध दे देती है. इसका वजन 300-350 किलो तक होता है. यह गाय लगभग हर तरह की जलवायु में जीवित रह सकती है, इसलिए इसे मजबूत और टिकाऊ नस्ल माना जाता है. देसी गायों की यह टॉप पांच नस्लें कम लागत, अच्छी दूध क्षमता और बेहतर वसा के कारण पशुपालकों के बीच लगातार लोकप्रिय होती जा रही हैं. सही नस्ल का चयन किसानों की आमदनी में बड़ा बदलाव ला सकता है और पशुपालन को एक स्थिर आय का स्रोत बना सकता है.