इन गायों से भरेगी दूध की बाल्टी! जानिए कौन सी नस्ल देती है 700 लीटर तक दूध

अगर आप गाय पालन से अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो भारत की ये 5 देसी नस्लें जो खूब दूध देती हैं. इन नस्ल की गायों को पशुपालकों के लिए कम खर्च में ज्यादा कमाई करने के लिए बेस्ट माना जाता है. यहां पर इन नस्लों के बारे में जानकारी दी जा रही है..

Kisan India
नोएडा | Published: 13 Nov, 2025 | 06:29 PM

Cow Breeds : अगर आप किसान हैं और दूध उत्पादन से अपनी कमाई बढ़ाने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद खास है. देश में कई ऐसी देसी गाय नस्लें हैं जो कम लागत में ज्यादा दूध देती हैं और इन्हें पालना भी आसान है. गाओलाओ, कोसली, कोंकण कपिला, घुमुसारी और कृष्णा वैली- ये पांच नस्लें किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं. ये न केवल दूध देती हैं, बल्कि इनका दूध पोषक तत्वों से भरपूर और बाजार में अधिक कीमत वाला होता है. आइए जानते हैं इन नस्लों की खासियत और पहचान.

गाओलाओ गाय

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गाओलाओ गाय को भारत की सबसे उत्पादक देसी नस्लों  में से एक माना जाता है. यह मुख्य रूप से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के इलाकों में पाई जाती है. इसका शरीर मजबूत और सफेद से हल्का सलेटी रंग का होता है. गाओलाओ गाय एक ब्यांत में 470 से 725 लीटर तक दूध देती है. इसके दूध में 4.32 प्रतिशत तक वसा पाया जाता है, जो इसे बेहद पौष्टिक बनाता है. इस नस्ल की खासियत यह है कि यह स्थानीय मौसम में जल्दी एडजस्ट हो जाती है और ज्यादा बीमार भी नहीं पड़ती.

कोसली गाय

छत्तीसगढ़ की पहचान मानी जाने वाली कोसली गाय किसानों की पहली पसंद बन चुकी है. यह नस्ल 150 से 200 किलोग्राम वजन की होती है और देखने में सफेद-भूरे या हल्के लाल रंग की होती है. कोसली गाय एक ब्यांत में लगभग 200 से 250 लीटर दूध देती है. इसके दूध में 4.5 फीसदी तक फैट पाया जाता है, जिससे यह स्वादिष्ट और ऊर्जा से भरपूर होता है. कम जगह में पालन योग्य होने के कारण यह छोटे किसानों के लिए फायदेमंद विकल्प है.

कोंकण कपिला गाय

कोंकण कपिला गाय महाराष्ट्र और गोवा के तटीय इलाकों में पाई जाती है. यह गाय छोटे आकार की, भूरे या हल्के पीले रंग की होती है और इसका चेहरा सीधा तथा आकर्षक होता है. कोंकण कपिला गाय एक ब्यांत में लगभग 400 से 500 लीटर दूध देती है, जिसमें 4.6 फीसदी वसा होती है. इस गाय का वजन 200 से 225 किलोग्राम तक होता है. यह नस्ल गर्म और आर्द्र वातावरण में भी अच्छा प्रदर्शन करती है, इसलिए इसे तटीय इलाकों के किसानों के लिए सबसे बेहतर माना जाता है.

घुमुसारी गाय

घुमुसारी गाय ओडिशा के ग्रामीण इलाकों  में सबसे ज्यादा पाली जाती है. यह नस्ल मजबूत और टिकाऊ होती है. इसका रंग सफेद होता है और यह एक ब्यांत में 450 से 650 लीटर तक दूध देती है. इसके दूध में 4.8 फीसदी से 5 फीसदी तक वसा होती है, जो इसे बेहद क्रीमी बनाती है. घुमुसारी गाय का वजन 150 से 200 किलोग्राम के बीच होता है. यह नस्ल कम चारे में भी अच्छी दूध उत्पादन  क्षमता रखती है, इसलिए गरीब किसानों के लिए बेहद उपयोगी है.

कृष्णा वैली गाय

कर्नाटक की कृष्णा वैली गाय अपने मजबूत शरीर और अधिक दूध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. यह एक ब्यांत में 400 से 700 लीटर तक दूध देती है. इस गाय की खासियत यह है कि यह हर तरह के मौसम में आसानी से रह लेती है और देखभाल में ज्यादा खर्च नहीं होता. कृष्णा वैली गाय का वजन लगभग 300 से 350 किलोग्राम तक होता है. इसका दूध स्वादिष्ट  और स्वास्थ्यवर्धक होता है, जिससे यह घरेलू उपयोग के साथ व्यावसायिक दृष्टि से भी लाभदायक है.

गाय पालन से बढ़ेगी किसानों की आमदनी

आज के समय में गाय पालन  न केवल दूध उत्पादन के लिए, बल्कि गोबर, गोमूत्र और जैविक खेती के लिए भी उपयोगी साबित हो रहा है. इन देसी नस्लों को पालने में कम खर्च आता है और इनकी उम्र भी लंबी होती है. इन नस्लों का दूध देशी घी और पनीर बनाने में खासतौर पर पसंद किया जाता है. इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी का मौका मिलता है.

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Published: 13 Nov, 2025 | 06:29 PM

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