भारत में दूध की मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में सिर्फ भैंस ही नहीं, बल्कि कुछ देशी गायों की नस्लें भी किसानों की आमदनी का बड़ा साधन बन रही हैं. अगर आप सोच रहे हैं कि गाय पालना फायदेमंद नहीं है, तो यह खबर पढ़ने के बाद आपकी राय बदल सकती है. आज हम आपको बताएंगे देश की टॉप 3 देशी गायों की नस्लें, जिनसे आप घर बैठे अच्छी आमदनी कमा सकते हैं. साथ ही जानेंगे गोकुल योजना और कुछ विदेशी नस्लों के बारे में, जो डेयरी फार्मिंग को और लाभकारी बना सकती हैं.
साहीवाल नस्ल- दूध की मशीन और किसान की दोस्त
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साहीवाल गाय भारत की सबसे अधिक दूध देने वाली देशी नस्लों में से एक मानी जाती है. यह गाय रोजाना 15 से 25 लीटर दूध दे सकती है. पंजाब और राजस्थान के किसान इस नस्ल को सबसे ज्यादा पसंद करते हैं. साहीवाल की खासियत यह है कि यह न सिर्फ अधिक दूध देती है, बल्कि इसकी देखभाल भी आसान है. इसका स्वभाव शांत और अनुकूल होता है, जिससे यह बच्चों और महिलाओं के लिए भी सुरक्षित मानी जाती है. अगर आप डेयरी फार्मिंग शुरू कर रहे हैं, तो साहीवाल नस्ल आपके लिए सही विकल्प साबित हो सकती है.
गिर नस्ल- A2 दूध वाली सुपर गाय
गिर गाय गुजरात के गिर जंगलों से आती है और अपने लंबे पान के पत्ते जैसे कान और ऊपर की ओर मुड़े सींगों के लिए पहचानी जाती है. यह गाय प्रतिदिन 10 से 20 लीटर दूध देती है. खास बात यह है कि गिर गाय का दूध A2 क्वालिटी का होता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. आजकल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग A2 दूध को पसंद कर रहे हैं, इसलिए इस नस्ल की मांग लगातार बढ़ रही है. अगर आप दूध बेचने का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो गिर नस्ल की गाय आपके मुनाफे में चार चाँद लगा सकती है.
हरियाणा नस्ल- बहुपयोगी और मेहनती साथी
हरियाणा नस्ल की गाय दूध देती ही है, लेकिन इसके साथ खेतों में काम करने के लिए भी बेहद उपयोगी मानी जाती है. यह गाय रोज़ाना 10 से 15 लीटर दूध देती है और मजबूत शरीर के कारण लंबे समय तक खेतों में काम कर सकती है. इसके स्वभाव में मेहनत और लगन की भावना है, जो इसे किसानों के बीच लोकप्रिय बनाती है. अगर आपके पास खेत और डेयरी दोनों हैं, तो हरियाणा नस्ल की गाय आपके लिए दोहरा लाभ दे सकती है.
गोकुल योजना- देशी गायों के संरक्षण और लाभ के लिए
सरकार ने देशी गायों को बढ़ावा देने और उनकी नस्लों को बचाने के लिए गोकुल योजना की शुरुआत की है. इसे राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) भी कहा जाता है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य देशी गायों की नस्लों का संरक्षण और दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ाना है. योजना के तहत किसानों को कृत्रिम गर्भाधान, सैक्स-सॉर्टेड सीमेन और IVF तकनीक जैसी आधुनिक सुविधाएं दी जाती हैं. इसके जरिए छोटे और सीमांत किसानों को भी ज्यादा दूध उत्पादन का मौका मिलता है. इस योजना का लाभ उठाकर किसान कम लागत में ज्यादा दूध प्राप्त कर सकते हैं और अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.
विदेशी नस्लें- ज्यादा दूध, लेकिन देखभाल महंगी
अगर आप डेयरी फार्मिंग में ज्यादा निवेश कर सकते हैं, तो विदेशी नस्लों की गायें भी एक अच्छा विकल्प हैं. प्रमुख नस्लें हैं:-
- होल्स्टीन फ्रिजियन (HF)- एक बार में 20 लीटर तक दूध देती है.
- जर्सी गाय- थोड़ी छोटी, लेकिन दूध में घनत्व ज्यादा.
- होल्स्टीन फ्रिजियन-क्रॉस- दूध देने में HF से बेहतर और अनुकूल.
इन नस्लों से अधिक दूध तो मिलेगा, लेकिन इनकी देखभाल और रखरखाव की लागत ज्यादा होती है. इसलिए सीमित संसाधनों वाले किसानों के लिए देशी नस्लों को अपनाना ज्यादा फायदेमंद रहता है.
डेयरी फार्मिंग से कमाई और देश को योगदान
गाय पालन सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ाने का जरिया नहीं है, बल्कि यह देश में दूध उत्पादन में भी अहम योगदान देता है. अगर किसान देशी नस्लों के साथ गोकुल योजना और आधुनिक तकनीकों का फायदा उठाएं, तो कम लागत में ज्यादा दूध उत्पादन संभव है. इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ेगी, बल्कि देश की डेयरी इंडस्ट्री भी मजबूत होगी. देशी गायों के पालन से किसान अपने घर बैठे स्थिर और लाभकारी व्यवसाय शुरू कर सकते हैं.