अब पराली से बनाएं खाद, बस खेत में करें गुड़-बेसन से बने इस घोल का छिड़काव.. तुरंत दिखेगा जादू

किसानों के लिए धान की पराली अब चिंता का विषय नहीं है. अब कम लागत और सरल तरीके से गुड़, बेसन और बायो डी कंपोजर से खेत में ही पराली से खाद तैयार किया जा सकता है.

Kisan India
नोएडा | Published: 18 Oct, 2025 | 08:30 PM

खरीफ की फसल की कटाई के बाद किसान अक्सर धान की पराली के निस्तारण को लेकर परेशान रहते हैं. खेत में बची यह पराली समय पर नष्ट न होने पर खेत की मशीनरी के लिए समस्या बन जाती है. लेकिन अब किसान इसे कम लागत और आसान तरीके से खेत में ही खाद में बदल सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विशेषज्ञों का कहना है कि सही तरीके से पराली निस्तारण करने से मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ती है और फसल उत्पादन में सुधार आता है.

पराली समस्या क्यों बनती है

धान की कटाई के बाद खेत में बची पराली को जलाना किसानों के लिए एक आम तरीका रहा है. इससे फसल अवशेष तुरंत नष्ट हो जाते हैं, लेकिन इससे मिट्टी की उर्वरता घटती है, धुएं से पर्यावरण पर असर पड़ता है और दूसरी फसल के लिए तैयारी मुश्किल हो जाती है. विशेषज्ञों के अनुसार, पराली को खेत में ही निस्तारित करना और उसे खाद में बदलना सबसे बेहतर उपाय है. इससे मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ता है और जल धारण क्षमता बेहतर होती है.

आसान तरीका: गुड़, बेसन और बायो डी कंपोजर

किसानों को अब किसी महंगे रासायनिक उत्पाद  की जरूरत नहीं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुड़, बेसन और बायो डी कंपोजर की मदद से खेत में ही पराली को खाद में बदला जा सकता है. यह तरीका कम मेहनत में पूरा हो जाता है और लागत भी बेहद कम है. किसानों को सिर्फ सही अनुपात में सामग्री मिलाकर घोल तैयार करना होता है और खेत में पराली पर छिड़क देना होता है.

चमत्कारी घोल बनाने की विधि

200 लीटर पानी में 2 किलो गुड़ और 2 किलो चने का बेसन अच्छी तरह मिलाएँ. इसके बाद 20 ग्राम बायो डी कंपोजर डालें और मिश्रण को लगातार 2-3 दिन सुबह और शाम लगभग 5-10 मिनट तक चलाते रहें. 3-4 दिन बाद मिश्रण दूधिया रंग में बदल जाएगा. इसे 10 दिन के लिए छोड़ दें. जब पानी में बुलबुले उठने लगें, तो समझ जाएं कि घोल तैयार है. इस पूरे 200 लीटर घोल से लगभग 20 एकड़ खेत की पराली निस्तारित की जा सकती है.

घोल का इस्तेमाल कैसे करें

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पहले धान की कटाई  के बाद खेत में बचे फसल अवशेष को अच्छे से फैला दें. फिर स्प्रे पंप की मदद से तैयार घोल को पूरे खेत में छिड़क दें. एक सप्ताह के अंदर पराली सड़कर खाद में बदलना शुरू हो जाएगी. इसके बाद किसान खेत की जुताई करके अगली फसल की बुवाई कर सकते हैं.

लाभ और फायदा

इस तरीके से न केवल किसान पराली जलाने  की समस्या से बचेंगे, बल्कि मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी. खाद तैयार होने के बाद किसानों को अतिरिक्त उर्वरक पर खर्च नहीं करना पड़ेगा. मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि खेत में ही पराली का निस्तारण करने से मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश जैसी महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है.

कम लागत और पर्यावरण अनुकूल

पराली  को इस घोल की मदद से खाद में बदलना सिर्फ किसानों के लिए मुनाफेदार नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है. इसे करने में सिर्फ 20-25 रुपए की लागत आती है, जबकि रासायनिक उर्वरक और अन्य महंगे उपायों में यह खर्च कई गुना बढ़ जाता है. साथ ही, खेत में पराली जलाने से निकलने वाला धुआँ वातावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है.

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Published: 18 Oct, 2025 | 08:30 PM

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