10 रुपये तक पहुंचा एक अंडा, फिर भी किसानों को नहीं मिल रहा पूरा दाम, जानिए वजह

घरेलू मांग के साथ-साथ निर्यात ने भी कीमतों को ऊपर धकेला है. अमेरिका में अंडों की कमी के चलते वहां से भारत से ज्यादा खरीद हो रही है. खाड़ी देशों और दक्षिण अफ्रीका जैसे बाजारों में भी भारतीय अंडों की मांग बनी हुई है. विशेषज्ञ मानते हैं कि निर्यात दबाव बना रहा तो घरेलू बाजार में कीमतें जल्दी नीचे नहीं आएंगी.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 25 Dec, 2025 | 08:00 AM
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Egg prices India: देशभर में अंडों की कीमतों ने इस सर्दी में आम लोगों की जेब पर सीधा असर डालना शुरू कर दिया है. ठंड बढ़ते ही अंडों की मांग तेजी से बढ़ी है, लेकिन इसके मुकाबले उत्पादन और आपूर्ति कमजोर पड़ गई है. इसी असंतुलन की वजह से बाजार में ‘एगफ्लेशन’ यानी अंडों की महंगाई का असर साफ दिखने लगा है. कई बड़े शहरों में एक अंडे की कीमत 10 रुपये तक पहुंच गई है, जिससे मध्यम और गरीब परिवारों की रसोई का बजट बिगड़ने लगा है.

बड़े शहरों में 100 अंडों का भाव 700 रुपये पार

नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी (NECC) के आंकड़ों के अनुसार नवंबर–दिसंबर में अंडों की कीमतों में तेज उछाल दर्ज किया गया है. दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे महानगरों में 100 अंडों का मासिक औसत मूल्य 700 रुपये के पार चला गया है, जबकि तीन महीने पहले यही कीमत करीब 550 रुपये थी. दिल्ली के कुछ इलाकों में एक अंडा 10 रुपये, हैदराबाद में 8 रुपये और चेन्नई में 7.50 रुपये तक बिक रहा है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी अंडों के दाम तेजी से बढ़े हैं.

सर्दी, फिटनेस ट्रेंड और त्योहारों ने बढ़ाई मांग

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, सर्दियों में अंडों की खपत परंपरागत रूप से बढ़ जाती है क्योंकि लोग इसे गर्म और ताकत देने वाला भोजन मानते हैं. इसके साथ ही फिटनेस और प्रोटीन डाइट का चलन भी अंडों की मांग बढ़ा रहा है. जिम जाने वाले युवा और हेल्थ-कॉन्शस लोग बड़ी संख्या में अंडे अपनी डाइट में शामिल कर रहे हैं. त्योहारों और शादी-ब्याह के सीजन ने भी खपत को और तेज कर दिया है.

उत्पादन में गिरावट ने बिगाड़ी सप्लाई

अंडों की कमी की एक बड़ी वजह उत्पादन में गिरावट है. लगातार बारिश के कारण मुर्गियों के चारे, खासकर मक्के, में फंगल संक्रमण फैल गया. इससे मुर्गियों की सेहत और अंडा उत्पादन पर असर पड़ा. उद्योग से जुड़े लोगों के मुताबिक उत्पादन में 7 से 10 प्रतिशत तक की गिरावट आई है. इसके साथ ही रोजाना 20 से 30 लाख अंडों की अतिरिक्त मांग बाजार पर दबाव बना रही है.

नामक्कल में रिकॉर्ड फार्म गेट कीमत

तमिलनाडु का नामक्कल इलाका, जहां रोजाना करीब 6 करोड़ अंडों का उत्पादन होता है, वहां 23 दिसंबर को फार्म गेट कीमत 6.40 रुपये प्रति अंडा तक पहुंच गई. यह अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. हालांकि इसके बावजूद किसान खुश नहीं हैं. तमिलनाडु एग पोल्ट्री फार्मर्स मार्केटिंग सोसायटी के अनुसार किसानों को औसतन 6.50 रुपये से भी कम प्रति अंडा मिल रहा है, जबकि उत्पादन लागत 4.50 से 4.75 रुपये के बीच है. यानी मुनाफा बहुत सीमित है.

निर्यात ने घरेलू बाजार पर बढ़ाया दबाव

घरेलू मांग के साथ-साथ निर्यात ने भी कीमतों को ऊपर धकेला है. अमेरिका में अंडों की कमी के चलते वहां से भारत से ज्यादा खरीद हो रही है. खाड़ी देशों और दक्षिण अफ्रीका जैसे बाजारों में भी भारतीय अंडों की मांग बनी हुई है. विशेषज्ञ मानते हैं कि निर्यात दबाव बना रहा तो घरेलू बाजार में कीमतें जल्दी नीचे नहीं आएंगी.

मार्च तक महंगाई बनी रह सकती है

पोल्ट्री उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि अंडों की ऊंची कीमतें मार्च तक बनी रह सकती हैं. इसके बाद उत्पादन में सुधार और मौसम बदलने से कुछ राहत मिल सकती है. हालांकि जनवरी के बाद कीमतों में हल्का सुधार संभव बताया जा रहा है.

कुल मिलाकर, अंडों की बढ़ती कीमतें सिर्फ उपभोक्ताओं की नहीं, बल्कि किसानों और पूरे पोल्ट्री सेक्टर की जटिल चुनौतियों को भी उजागर कर रही हैं. जब तक उत्पादन, चारे की गुणवत्ता और आपूर्ति संतुलन में सुधार नहीं होता, तब तक ‘एगफेशन’ आम लोगों को परेशान करता रहेगा.

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