Green Fodder Benefits : गांवों में हर घर की पहचान दूध और घी से होती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गाय या भैंसों के दूध उत्पादन में कमी क्यों आ जाती है? इसका कारण है गलत या अधूरा चारा. अगर आप सही तरह की घास अपने पशुओं को खिलाएं, तो दूध की धार सालभर बहती रहेगी. चलिए जानते हैं ऐसी तीन घासों के बारे में जो हर किसान को जरूर उगानी चाहिए.
बरसीम घास- दूध बढ़ाने की प्राकृतिक कुंजी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बरसीम घास दुधारू पशुओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इसमें कैल्शियम और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है, जो पशुओं के शरीर को ताकत देती है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है. अगर गाय या भैंस को रोज बरसीम घास खिलाई जाए, तो उनका दूध उत्पादन 20-30 फीसदी तक बढ़ सकता है. कई किसान बरसीम की खेती ठंड के मौसम में करते हैं क्योंकि यह जल्दी बढ़ती है और लंबे समय तक हरी रहती है. इससे दूध की गुणवत्ता भी बेहतर होती है और पशु ज्यादा स्वस्थ रहते हैं.
जिरका घास- कम मेहनत में ज्यादा पोषण
अगर आप ऐसी घास चाहते हैं जिसे उगाने में ज्यादा खर्च न हो, तो जिरका घास आपके लिए बेस्ट है. यह घास कम पानी और कम देखभाल में भी तेजी से बढ़ती है. इसमें मौजूद कैल्शियम, आयरन और फाइबर पशुओं के शरीर को ऊर्जा देते हैं. जिरका घास खिलाने से गाय-भैंस का शरीर मजबूत रहता है और वे लंबे समय तक दूध देती हैं. किसान इसे खेतों के किनारों या खाली जगहों में भी बो सकते हैं, जिससे दोहरा फायदा मिलता है-चारा भी और मुनाफा भी.
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नेपियर घास- सेहत और मुनाफे का राज
नेपियर घास को दूध बढ़ाने वाली घास कहा जाता है. यह तेजी से बढ़ती है और सालभर हरा चारा देती है. इसमें प्रोटीन और मिनरल्स की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाती है. जो किसान इसे अपनाते हैं, उन्हें दो फायदे मिलते हैं- एक तो पशु स्वस्थ रहते हैं और दूसरा, दूध की बिक्री से मुनाफा बढ़ता है. नेपियर घास की एक बार बुवाई करने पर यह सालों तक फल देती रहती है.
प्राकृतिक पोषण से बढ़ेगा फायदा
पशु चिकित्सकों के अनुसार, दुधारू पशुओं को प्राकृतिक चारा और संतुलित आहार देना सबसे जरूरी है. जब पशु को सही मात्रा में पोषण मिलता है, तो वह न केवल अधिक दूध देता है बल्कि बीमार भी कम पड़ता है. अगर आप रोजाना अपने पशुओं को इन तीनों घासों का मिश्रण खिलाएं, तो उनकी सेहत और दूध दोनों बेहतर रहेंगे.
दवाओं से दूरी, सेहत में सुधार
कई किसान दूध बढ़ाने के लिए हॉर्मोन या दवाओं का सहारा लेते हैं, लेकिन यह गलत है. ये दवाएं पशुओं के शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं और दूध की गुणवत्ता को भी घटाती हैं. इसलिए किसानों को हमेशा प्राकृतिक और पारंपरिक तरीके अपनाने चाहिए.