क्यों हर साल दिखाई देते हैं अमरनाथ गुफा में दो कबूतर? जानिए इनकी रहस्यभरी कहानी

इस साल अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हो चुकी है. जैसे-जैसे भक्त इस पवित्र यात्रा के लिए निकल रहे हैं, वैसे-वैसे एक सवाल फिर जहन में आता है, हर साल अमरनाथ गुफा में वही दो कबूतर कैसे दिखाई देते हैं?

नई दिल्ली | Published: 4 Jul, 2025 | 04:10 PM

अमरनाथ यात्रा एक ऐसी आस्था से भरी तीर्थयात्रा है, जिसे हर साल लाखों श्रद्धालु पूरी आस्था और समर्पण से करते हैं. बर्फीली वादियों और कठिन रास्तों से होते हुए भक्तजन अमरनाथ गुफा तक पहुंचते हैं, जहां प्राकृतिक रूप से हिम से बना शिवलिंग प्रकट होता है. इसी पवित्र स्थान से जुड़ी है दो अमर कबूतरों की एक अनोखी, चमत्कारिक और रहस्यमयी कहानी, जो आज भी इस गुफा में दिखाई देते हैं.

यात्रा शुरू, परंपरा जिंदा

इस साल अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हो चुकी है. जैसे-जैसे भक्त इस पवित्र यात्रा के लिए निकल रहे हैं, वैसे-वैसे एक सवाल फिर जहन में आता है, हर साल अमरनाथ गुफा में वही दो कबूतर कैसे दिखाई देते हैं? यह कोई सामान्य पक्षी नहीं, बल्कि शिव-पार्वती से जुड़ी अमरता की पौराणिक गाथा का हिस्सा हैं.

वो रहस्य जिसे भोलेनाथ ने केवल पार्वती को सुनाया

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से अमरता का रहस्य जानने की इच्छा जताई. भोलेनाथ वर्षों से इस रहस्य को छिपा रहे थे, लेकिन आखिरकार उन्होंने यह कथा सुनाने का निर्णय लिया. उन्होंने माता पार्वती को हिमालय की एक गुफा में ले जाकर यह अमरकथा सुनाई, जहां कोई और न सुन सके. वह गुफा ही आज की अमरनाथ गुफा है.

शिव ने एक-एक कर त्यागे अपने अंग

कहते हैं, अमरता की कथा सुनाने से पहले भगवान शिव ने अपनी सभी सांसारिक जिम्मेदारियों और प्रतीकों को त्याग दिया.

  • नंदी को पहलगाम में छोड़ा
  • जटा से चंद्रमा को चंदनवारी
  • गंगा को पंचतरणी
  • नागों को शेषनाग
  • पुत्र गणेश को महागुन टॉप में छोड़ा

इसके बाद वह केवल पार्वती जी के साथ अमरनाथ गुफा पहुंचे, ताकि वह कथा सिर्फ उन्हें ही सुना सके.

माता पार्वती को आई नींद, सुन रहे थे कबूतर

जब शिवजी अमरता की कथा सुना रहे थे, तब कथा के बीच में पार्वती जी को नींद आ गई. लेकिन भोलेनाथ इस बात से अनजान रहे और कथा सुनाते रहे. इसी बीच उन्हें ‘गुटर-गूं’ की आवाज सुनाई दी. उन्होंने देखा कि दो कबूतर कथा सुन रहे हैं.

भगवान शिव क्रोधित हो गए. उन्होंने कहा, “यह अमर कथा केवल पार्वती के लिए थी, तुमने इसे क्यों सुना?” उन्होंने जैसे ही कबूतरों को खत्म करने की कोशिश की, तो कबूतर बोले—”अगर आप हमें मारेंगे, तो अमरता की यह कथा झूठी हो जाएगी.”

शिव ने दिया अमरता का वरदान

कबूतरों की बात सुनकर भगवान शिव मुस्कराए और उन्हें माफ करते हुए कहा “तुम दोनों अब इस गुफा में शिव-पार्वती और अमरता के प्रतीक के रूप में हमेशा रहोगे.” तभी से यह माना जाता है कि वे दो कबूतर अमर हो गए और आज भी अमरनाथ गुफा में दिखाई देते हैं.

क्या आज भी दिखते हैं ये कबूतर?

जी हां, आज भी जब श्रद्धालु गुफा के भीतर शिवलिंग के दर्शन करते हैं, तो कई बार उन्हें ये दो कबूतर दिखाई देते हैं. बर्फ और ठंड से भरे वातावरण में इनका जीवित रहना किसी चमत्कार से कम नहीं.