धान किसानों का पैसा फंसा? 2 करोड़ रुपये जारी नहीं होने से राइस मिलिंग बंद, स्टॉक में रखी धान खराब!

मिलर्स का भुगतान समय पर नहीं होने के कारण जिले में धान की मिलिंग ठप है. लगभग 20 करोड़ रुपए का भुगतान अटका है.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Updated On: 13 Aug, 2025 | 04:21 PM

मध्य प्रदेश में धान मिलर्स का भुगतान समय पर नहीं होने के चलते धान की मिलिंग का काम ठप पड़ा है. कहा गया है कि कुछ धान किसानों की रकम भी फंसी हुई है. हालांकि, अधिकारियों ने इससे इनकार किया है. मध्य प्रदेश सरकार के नियमों के अनुसार धान की मिलिंग 7 महीने पहले पूरी हो जानी चाहिए थी. हालांकि, राज्य सरकार ने इस सीजन में मिलिंग प्राइस में भी बढ़ोत्तरी की है. लेकिन फंड रिलीज नहीं होने के चलते धान की मिलिंग नहीं हो पा रही है. वहीं, स्टॉक में रखी ज्यादातर धान खराब हो गई है.

20 करोड़ रुपये की पेमेंट अटकी

मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में मिलर्स का भुगतान समय पर नहीं होने के कारण जिले में धान की मिलिंग ठप है. लगभग 20 करोड़ रुपए का भुगतान अटका है. हालात को देखते हुए कलेक्टर केदार सिंह ने एनसीसीएफ, मिलर्स एवं संबंधित विभाग के अधिकारियों की एक बैठक बुला कर एजेंसी को फटकार लगाई है और दो दिन में भुगतान करने को कहा है.

7 महीने पहले हो जानी चाहिए थी मिलिंग

बैठक में बताया गया कि जिन 6 समितियों ने धान ट्रांसपोर्टेशन कार्य किया था उनका लगभग पौने 2 करोड़ का भुगतान अटका है. बीते साल खरीफ सीजन में समर्थन मूल्य पर 20 लाख क्विंटल धान की खरीदी की गई थी. नियमानुसार 7 महीने पहले मिलिंग हो जाना था लेकिन आज तक 15 लाख क्विंटल धान की मिलिंग नहीं हुई है.

सवा लाख क्विंटल धान खराब हो रही

शहडोल के कलेक्टर ने बैठक में बताया कि जिले के विभिन्न ओपन कैंप में सवा लाख क्विंटल धान स्टॉक में रखी है. उन्होंने कहा कि मिलिंग नहीं होने के चलते यहां रखी अधिकांश धान बारिश में खराब हो चुकी है. जबकि, कुछ किसानों का पैसा फंसे होने की चर्चाएं भी हैं. हालांकि, अधिकारियों ने इससे इनकार किया है.

मिलिंग रेट भी बढ़ा चुकी है मध्य प्रदेश सरकार

मध्य प्रदेश सरकार ने मिलर्स को राहत देने के लिए इस सीजन में मिलिंग रेट में बढ़ोत्तरी की है. सरकार के इस फैसले से मिलर्स को प्रति क्विंटल 40 रुपये अधिक मिलेंगे यदि वे 20 फीसदी चावल एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) को देते हैं. अगर 40 फीसदी चावल एफसीआई को दिया जाता है, तो उन्हें 120 रुपये प्रति क्विंटल की अपग्रेडेशन राशि मिलेगी. इसके अलावा, धान की मिलिंग के लिए प्रोत्साहन राशि में भी बढ़ाई गई है.

क्यों होती है धान की मिलिंग

धान को चावल में बदलने के लिए मिलिंग की जाती है. जब FCI और राज्य एजेंसियां किसानों से धान खरीदती हैं तो उसे मिलों में भेजा जाता है. इन मिलों से धान को मशीनों के जरिए पॉलिश कर चावल निकाला जाता है. हर 100 किलो धान से लगभग 67 किलो चावल निकलता है.

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Published: 13 Aug, 2025 | 04:06 PM

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