भैंस खरीदने से पहले ये बातें जान लें, वरना ठगी में फंसकर होगा बड़ा नुकसान
निमाड़ और खंडवा जैसे इलाकों में पशुपालन आमदनी का अच्छा जरिया है. सही नस्ल की भैंस चुनना जरूरी है, ताकि ज्यादा दूध मिले और ठगी से बचा जा सके. मुर्रा, जाफराबादी जैसी नस्लें अधिक दूध देती हैं.
निमाड़ और खंडवा जैसे इलाकों में पशुपालन किसानों की कमाई का एक मजबूत जरिया है. हर किसान चाहता है कि उसके पास ऐसी भैंस हो जो दिन में खूब दूध दे और जिससे घर की आमदनी भी बढ़े. लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि कई व्यापारी किसानों की इसी चाह का फायदा उठा लेते हैं. वे ऐसी भैंस बेच देते हैं जो देखने में तंदरुस्त लगती है, लेकिन असल में बहुत कम दूध देती है. इस कारण किसान नुकसान उठा लेते हैं और बाद में पछताते हैं। इसलिए यह बहुत जरूरी हो गया है कि किसान अच्छी भैंस की असली पहचान करना सीखें और यह समझें कि कौन सी नस्ल ज्यादा दूध देने वाली होती है.
दूध उत्पादन अब प्रतियोगिता जैसा- सही जानकारी ही बचाव
आजकल दूध उत्पादन भी एक तरह का मुकाबला बन गया है. जो किसान जितना ज्यादा दूध बेचता है वह उतनी अच्छी कमाई करता है. किसान भावेश पटेल बताते हैं कि बहुत से किसान सिर्फ दिखावे में आकर भैंस खरीद लेते हैं. एक व्यापारी भैंस को कुछ दवा देकर या कई बार पहले दूध पिलाकर थन फुला देता है ताकि वह ज्यादा दूध देने वाली लगे. लेकिन असलियत कुछ और होती है. किसान को नस्ल, उम्र और थन की असली पहचान आनी चाहिए ताकि वो ठगी से बच सके.
भैंस खरीदते समय किन बातें पर ध्यान दें?
जब भी किसान भैंस खरीदने जाए, तो निम्नलिखित बातों को खूब ध्यान से जरूर देखें-
- थन और शरीर की बनावट: ज्यादा दूध देने वाली भैंस के थन बड़े, मुलायम और नसों से भरे होते हैं। पिछली टांगें थन के अनुसार खुली रहती हैं.
- उम्र की पहचान: दांत देखकर भैंस की उम्र जान सकते हैं. पहली या दूसरी बार बच्चा देने वाली (2nd calving) भैंस लंबे समय तक अच्छा दूध देती है.
- खाने-पीने की आदत: जो भैंस चारा अच्छे से खाए और ना ज्यादा दुबली हो और ना बहुत मोटी- वही दूध देने में बढ़िया होती है.
- व्यवहार: सक्रिय, तेज और चौकस भैंस स्वस्थ मानी जाती है सुस्त और हमेशा लेटी रहने वाली भैंस कम दूध देती है.
देश की सबसे ज्यादा दूध देने वाली प्रमुख नस्लें
भारत में कई नस्लों की भैंस देखने को मिलती हैं, लेकिन कुछ नस्लें दूध उत्पादन में सबसे बेहतर साबित हुई हैं:
- मुर्रा नस्ल (Murrah): यह हरियाणा-पंजाब की प्रसिद्ध नस्ल है और प्रतिदिन 10 से 18 लीटर तक दूध देती है. यह सबसे लोकप्रिय नस्ल मानी जाती है.
- जाफराबादी नस्ल: गुजरात की यह भैंस भारी-भरकम होती है और एक दिन में 8 से 12 लीटर दूध देती है.
- मेहसाणा नस्ल: गुजरात की एक और अच्छी नस्ल, जो 7 से 10 लीटर दूध देती है.
- नागपुरी और पंढरपुरी नस्ल: महाराष्ट्र के इलाकों में ये नस्लें किसानों के लिए सही मानी जाती हैं और 6 से 8 लीटर दूध प्रतिदिन देती हैं.
ठगी से कैसे बचें?
भैंस खरीदते समय किसान को अकेले नहीं जाना चाहिए. किसी अनुभवी पशुपालक या पशु चिकित्सक को साथ ले जाना बहुत फायदेमंद होता है. बिना जांच के किसी भैंस को न खरीदें, सिर्फ दिखावे पर भरोसा ना करें. कई व्यापारी भैंस को ज्यादा दूध पिलाकर या दवा देकर उसका थन भारी दिखा देते हैं. ऐसे में किसान को लगता है कि यह भैंस बहुत दूध देती होगी, लेकिन खरीदने के बाद हकीकत उल्टी निकलती है. इसलिए शांति से, सोच-समझकर और पूरी जांच-पड़ताल करके ही भैंस खरीदें.
सही नस्ल और सही सलाह से बढ़ेगी किसान की कमाई
पशुपालन किसानों की आमदनी बढ़ाने का बड़ा साधन है, लेकिन बिना सही जानकारी यह नुकसान का सौदा भी बन सकता है. मुर्रा और जाफराबादी जैसी भैंसें अधिक दूध देती हैं और लंबा उत्पादन देती हैं. स्थानीय नस्लें अक्सर कम दूध देती हैं. इसलिए यदि किसान सच में अपने परिवार की आमदनी बढ़ाना चाहते हैं तो उन्हें नस्ल की पहचान, थन की बनावट, भैंस की उम्र और दूध की मात्रा को देखकर ही खरीदारी करनी चाहिए. सही भैंस लेने पर रोज़ ज़्यादा दूध मिलेगा, खर्चा भी निकलेगा और मुनाफा भी बढ़ेगा.
- पशुपालकों के लिए रोजगार का नया मौका, केवल दूध ही नहीं ऊंट के आंसुओं से भी होगी कमाई
- बरसात में खतरनाक बीमारी का कहर, नहीं कराया टीकाकरण तो खत्म हो जाएगा सब
- पशुपालक इन दवाओं का ना करें इस्तेमाल, नहीं तो देना पड़ सकता है भारी जुर्माना
- 2000 रुपये किलो बिकती है यह मछली, तालाब में करें पालन और पाएं भारी लाभ