बकरी-मुर्गी भूल जाइये, सर्दी में करें इस पक्षी का पालन.. साल में होगी 28 लाख रुपये की कमाई

बत्तख को अंडा देने में 16 सप्ताह लगते हैं. इसकी कई नस्लें पाई जाती हैं, जिनसे अंडे और मीट  दोनों का लाभ होता है. प्रमुख नस्लों में खाकी, इंडियन रनर, पैकेंस और नागेश्वरी शामिल हैं. बिहार में खाकी और इंडियन रनर को बेहतर माना जाता है.

नोएडा | Updated On: 22 Nov, 2025 | 04:02 PM

Duck Farming: देश में बकरी और मुर्गी पालन का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इससे किसानों की अच्छी कमाई हो रही है. खास बात यह है कि बकरी और मुर्गी पालन को सरकारें भी बढ़ावा दे रही हैं. इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. लेकिन किसानों को मालूम होना चाहिए कि बकरी और मुर्गी पालन से भी ज्यादा कमाई बत्तख पालन में है. अगर किसान सर्दी के मौसम में बत्तख पालन करते हैं, तो कुछ ज्यादा ही कमाई होगी. क्योंकि सर्दी के मौसम में बत्तख के मांस और अंडे की कुछ ज्यादा ही डिमांड रहती है. इसलिए सर्दी के मौसम में बत्तख का पालन करना किसानों के लिए मुनाफे का बिजनेस होगा. तो आइए जानते हैं हमें बत्तख पालन करने के लिए क्या करना चाहिए.

दरअसल, बत्तख पालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी योजनाएं चला रही हैं. इन योजना के माध्यम से किसानों को बत्तख पालन  शुरू करने के लिए सब्सिडी दी जा रही है. ऐसे में अगर आप भी बत्तख पालन शुरू करना चाहते हैं, तो पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर जान लें. एक्सपर्ट के मुताबिक, बत्तख पालन आज के समय में काफी लोकप्रिय हो गया है. यह कम खर्च में अच्छा मुनाफा देता है, क्योंकि बत्तख रोगों से लड़ने में मजबूत होते हैं और खाने-पानी पर खर्च कम आता है. अगर 1000 बत्तखों से बत्तख पालन की शुरुआत की जाए तो लगभग 3 लाख 75 हजार रुपये का खर्च आता है, जिसमें रहने और खाने-पीने का पूरा खर्च शामिल है.

चूजों को इस तरह पिंजरे में रखें

मुर्गी पालन  की तरह के बत्तखों के चूजे भी बाहर से लाए जाते हैं. इन चूजों को सांप और बिल्ली जैसे जानवरों से सुरक्षित जगह पर रखना होता है. इसके लिए पिंजरा का इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन चूजें को 4 सप्ताह तक बाहर न निकाला जाए. पहले 2 सप्ताह तक ठंड में 35 डिग्री और 4 सप्ताह में 25 डिग्री तापमान में रखें. बाहर छोड़ने के बाद चूजा खुद चरकर खाना खा सकता है.

16 सप्ताह में अंडा देने लगती है बत्तख

विशेषज्ञों के मुताबिक, बत्तख को अंडा देने में 16 सप्ताह लगते हैं. इसकी कई नस्लें पाई जाती हैं, जिनसे अंडे और मीट  दोनों का लाभ होता है. प्रमुख नस्लों में खाकी, इंडियन रनर, पैकेंस और नागेश्वरी शामिल हैं. बिहार में खाकी और इंडियन रनर को बेहतर माना जाता है. खाकी और इंडियन रनर ड्यूल पर्पस होती हैं, यानी अंडा और मीट दोनों के लिए अच्छी हैं. इंडियन रनर एक साल में 300 अंडे तक देती है.

साल में होगी लाखों रुपये की कमाई

खास बात यह है कि बत्तख पालन में खाना खर्च ज्यादा नहीं आता, क्योंकि इसे धान के खेत में भी छोड़ा जा सकता है. इससे बत्तख का खाना  भी हो जाता है और उसका मल खेत में खाद के रूप में काम आता है. साथ ही बत्तख खेत में पड़े कीड़े निकालकर किसान का काम आसान कर देती है. बड़ी बात यह है कि बत्तख पालन से अच्छी कमाई भी होती है, क्योंकि इसमें ज्यादा मेहनत नहीं लगती. अगर आपने 1000 बत्तखों से बत्तख पालन की शुरुआत की और 800 बत्तख रोजाना अंडे देने लगीं, तो 800 अंडे रोजाना के हिसाब से लगभग 8,000 रुपये प्रतिदिन कमाए जा सकते हैं. इस तरह महीने में आपकी कमाई 2.4 लाख और साल में करीब 28 लाख रुपये होगी.

Published: 22 Nov, 2025 | 03:54 PM

Topics: